हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 1


 

IV/ A-1999              

शान्तिनिकेतन

  3.11.34

श्रध्देय पंडित जी,

              प्रणाम!

       आप लोगों के चले जाने के बाद मुझे एक बात सूझी। वह यह कि, आप भविष्य किन का है - नामक जो लेख लिखने जा रहे हैं उसमें हमारा एक संशोधन स्वीकार कर लें। उस लेख का शीर्षक रखिये भावी किस की है। अवश्य ही, इस संबंध में हमारा केवल उत्साह है, आग्रह नहीं। और सब कुशल है।

       वर्मा जी और धन्य कुमार जी से मेरा नमस्कार कह दें। वर्मा जी अगर छुट्टियों में यहाँ रहें तो बड़ा आनन्द रहे। अगले शनिवार को अगर आप आवें तो धन्य कुमार जी को भी साथ लेते आवें। बैजनाथ सिंह को मेरा नमस्कार कह दें। लालता शंकर जी आप लोगों को प्रणाम कहते हैं। उन्हें हमारा संशोधन पसन्द है।

आपका

हजारी प्रसाद

 

 
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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली