हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 55


IV/ A-2054

7.7.42

पूज्य पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       नदी संबंधी मसालों की प्रथम किश्त भेज रहा हूँ। कुछ कामकाज बढ़ गया था और समय पर भेज नहीं सका था। अब शीघ्र ही समूचा मसाला एकत्र करके भेज दूँगा। गुरुदेव के कुछ गानों को आपने माँगा था, अनुवाद समेत कुछ प्रेरणादायक गान भेज रहा हूँ।

       अब आपका स्वास्थ्य कैसा है? कभी इधर आने की इच्छा नहीं है क्या? यशपाल जी की पत्नी शायद इधर कुछ सीखने के उद्देश्य से आना चाहती हैं। अक्टूबर तक प्रतीक्षा कर लेना अच्छा होगा। अब भी इधर बहुत-कुछ अनिश्चित ही-सा है।

       श्री बुद्धि प्रकाश जी को और कवि गुपलेश जू को मेरा नमस्कार कहें। पिताजी को प्रणाम कहें।

       हम लोग सानंद हैं।

आपका

हजारी प्रसाद

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली