हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 94


IV/ A-2090

शान्तिनिकेतन

दिनांक: 30.3.50

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       कृपापत्र देर से मिला है। मैं बाहर गया था। कोई १५-१६ दिन बाद लौटा तो आपका पत्र आया था। बड़े दादा के बारे में कुछ सामग्री बंगला विश्वभारती पत्रिका में निकली है। भिजवा रहा हूँ। प्रभातबाबू वाली जीवनी भी अगर यहीं मिल गई तो भिजवा दूँगा। नहीं तो कलकत्ते से मंगवाकर। अट्ठारह लेख प्रतिमास तो कुछ बहुत अधिक का व्रत है। मैं कुछ कतरनें और कुछ स्फूर्तिदायक संस्कृत सुभाषित संग्रह करके भेज दूँगा। पाँच लेखों की सामग्री तो भेजनी ही चाहिए।

       आशा है, आप प्रसन्न हैं।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली