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इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में लगाई गई दो दिवसीय एकल पेंटिंग प्रदर्शनी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री Nitin Gadkari ने अवलोकन
किया। इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव Sachchidanand Joshi, कला दर्शन प्रभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा कम्बोज और चित्रकार मनाली बोंडे भी उपस्थित रहे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
ने इस उत्कृष्ट प्रदर्शनी, जो प्राचीन भारतीय दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उत्सव मनाती है, को देखने के बाद चित्रकार मनाली बोंडे की भूरि-भूरि प्रशंसा की।आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी
ने सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने की संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। -
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र परिसर में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वैदिक हैरिटेज पोर्टल और कला वैभव(आभासी संग्रहालय) का लोकार्पण किया। इसके
पूर्व उन्होंने शहीद दिवस पर क्रांतिकारी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। -
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र परिसर में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वैदिक हैरिटेज पोर्टल और कला वैभव(आभासी संग्रहालय) का लोकार्पण किया।इस मौके पर
केंद्रीय संस्कृति,पर्यटन, उत्तर -पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी.किशन रेड्डी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी,संस्कृति मंत्रालय में
संयुक्त सचिव उमा नन्दूरी आदि मौजूद रहे। -
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, बीकानेर में माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र की प्रदर्शनी “लोक-देवलोक” का उद्घाटन के पश्चात
अवलोकन किया। इस अवसर पर उनके साथ राजस्थान के राज्यपाल, श्री कलराज मिश्र व केंद्रीय राज्य संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहे।
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- The deadline for receipt of applications for the courses has been extended until March 31, 2024. For Registration, Click here
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र की स्थापना भारतीय कलाओं के अध्ययन और शोध करने वाले एक ऐसे केंद्र के रूप में की गई – जहाँ प्रत्येक कला को संपूर्णता में देखा जा सके और जो प्रकृति, सामाजिक संरचना तथा ब्रह्मांड के साथ परस्पर संबद्ध हो।
कला का यह दृष्टिकोण, मानव संस्कृति के साथ एकीकृत, और उसके विशाल साँचे के लिए महत्वपूर्ण, व्यक्ति के स्वयं अपने और समाज के अभिन्न गुण के लिए आवश्यक कला की भूमिका के प्रति श्रीमती गाँधी की मान्यता पर निर्भर है। इसमें समग्र वैश्विक दृष्टिकोण शामिल है, जो संपूर्ण भारतीय परंपरा में प्रभावशाली रूप से व्यक्त हुआ है, और जिस पर महात्मा गाँधी से लेकर रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे आधुनिक भारतीय नेताओं ने बल दिया है।
यहाँ कला में लिखित और मौखिक रचनात्मक और महत्वपूर्ण साहित्य; वास्तुकला, शिल्पकला, चित्रकला और ग्राफ़िक्स से लेकर सामान्य वस्तुपरक संस्कृति, फ़ोटोग्राफ़ी और फ़िल्मों तक विस्तृत दृश्य कलाएँ; अपने व्यापक अर्थ में संगीत, नृत्य और नाट्यशाला रूपी प्रदर्शन कलाएँ; और मेलों, उत्सवों और जीवन शैली के वे सभी घटक सम्मिलित हैं, जिनमें कलात्मक आयाम मौजूद हैं। अपने प्रारंभिक चरण में केंद्र द्वारा भारत पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा; बाद में वह अन्य सभ्यताओं और संस्कृतियों तक अपने क्षितिज को विस्तृत करेगा। अनुसंधान, प्रकाशन, प्रशिक्षण, रचनात्मक गतिविधियों और प्रदर्शन के माध्यम से इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र प्राकृतिक और मानव परिवेशीय संदर्भ के अंतर्गत कला को अवस्थित करना चाहता है। अपने सभी कार्यों में केंद्र का मौलिक दृष्टिकोण बहु-विषयक और अंतर-विषयक, दोनों है।
भारतीय कला और संस्कृति के बिखरे खंडों को एकत्रित करने और उनके संरक्षण की आवश्यकता को पहचानते हुए, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा कला के लिए, विशेष रूप से लिखित, मौखिक और दृश्यात्मक सामग्री के प्रमुख संसाधन केंद्र के रूप में सेवा देने का एक अग्रणी प्रयास किया गया है।