परिचय – मेघालय

भूमि

मेघालय, एक संस्कृत शब्द जिसका अर्थ है “बादलों का निवास स्थान,” 2 अप्रैल, 1970 को एक स्वायत्त राज्य के रूप में बनाया गया था। मेघालय एक पूर्ण राज्य के रूप में 2 जनवरी, 1972 को अस्तित्व में आया। मेघालय का भारत के लिए सटीक ऐतिहासिक, भौगोलिक और नीतिगत महत्व है। यह उत्तर और पूर्व में असम राज्य से घिरा है और दक्षिण तथा पश्चिम में बांग्लादेश से घिरा है। इस राज्य में तीन भौगोलिक मंडल हैं गारो (पश्चिम), ख़ासी (केंद्रीय) और जयंतिया (पूर्वी) हिल मंडल।

गारो हिल्स में तुरा श्रेणी पश्चिम से पूर्व तक प्रमुख रूप से एक मध्य हिस्से में स्थित है जहां नोकरेक चोटी स्थित है। ख़ासी-जयंतिया श्रेणियाँ एक घुमावदार संरेखण के साथ आपस में लिपटी हुई हैं। जयंतिया हिल्स में श्रेणियों के स्कंध ऊंचाई में शिलोंग के पठार की तुलना में कम हैं; पहाड़ियों के आधार सपाट भूमि, घाटी और घास के मैदानों के साथ-साथ स्थित हैं।

मेघालय वनस्पति और जीवों की समृद्ध प्रजातियों से सम्पन्न है। विश्व में ऑर्किड की लगभग 17,000 क़िस्मों में से लगभग 3000 किस्में मेघालय में पाई जाती हैं। एक वनस्पति-विज्ञान का अजूबा कीड़ों को खाने वाला पौधा पिचर पौधा राज्य के जयंतिया हिल्स, पश्चिमी ख़ासी हिल्स और दक्षिण गारो हिल्स जिले में पाया जाता है। राज्य में पाए जाने वाले पशुओं और पक्षियों में हाथी, बाघ, भालू, जैकाल, तेंदुआ, सुनहरा लंगूर आदि शामिल हैं।

राज्य में पाए जाने वाले रुचिकर पक्षियों में हॉर्नबिल,राजा गिद्ध, कलगी वाला साँप, चील, तीतर, टील, स्नाइप,बटेर आदि शामिल हैं।

लोग:


मेघालय का कुल क्षेत्रफल 22,429 वर्ग किमी. है और 2001 की जनगणना में रिपोर्ट किए गए अनुसार इसकी कुल जनसंख्या 2,306,069 है। मेघालय में लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुष 974 महिलाओं का था; जबकि पूरे देश के लिए यह 923 महिलाओं का था।मेघालय में तुलनात्मक रूप से बेहतर लिंगानुपात मातृवंशीय समाज की वर्तमान परंपरा के कारण माना जा सकता है। ख़ासी और जयंतिया जनजातियाँ मातृवंशीय प्रकृति की हैं जिनमें मृत व्यक्ति की अचल संपत्ति का वारिस महिलाएं होती हैं, विशेष रूप से सबसे छोटी बेटी। वास्तव में मादा शिशुओं और बेटियों पर माता-पिता शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल की दृष्टि से पर्याप्त ध्यान देते हैं।

मेघालय प्रमुख रूप से ईसाई धर्म के प्रभुत्व वाला राज्य है। 19वीं सदी के अंत में ईसाई मिशनरियों के आने से पहले और उसके बाद भी अधिकतर स्थानीय निवासी जनजातीय धर्मों का अनुसरण करते थे।  

सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत: 

ख़ासी, गारो और जयंतिया लोग एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले लोग हैं। ख़ासी और जयंतिया जिलों के महत्वपूर्ण शिल्प हैं कलात्मक बुनाई, लकड़ी पर नक्काशी और बेंत तथा बांस के काम। कालीन और रेशम की बुनाई और संगीत वाद्य यंत्र बनाना, आभूषण तथा अनानास फाइबर की वस्तुएँ बनाना यहाँ के अन्य मुख्य शिल्प हैं।
गारो हिल्स जिले के लोकप्रिय हस्तशिल्प हैं कलात्मक बुनाई, लकड़ी पर नक्काशी के काम (जिसमें बांस में एक अत्यधिक गरम तीखी छड़ी से जला कर डिजाइन बनाए जाते हैं) सहित बेंत तथा बांस के कार्य, लकड़ी पर नक्काशी, आभूषण और मिट्टी के खिलौने तथा गुड्डियाँ और संगीत वाद्य यंत्र बनाना।

इतिहास

ख़ासी, जयंतिया और गारो लोगों के संबंध में विभिन्न किंवदंतियाँ, धारणाएँ और निष्कर्ष हैं। यह कहा जाता है कि ख़ासी लोग सबसे पहले विस्थापित हो कर यहाँ आ कर बसे थे जो उत्तरी म्यानमार से होते हुए पूर्वी असम के मैदान में ख़ासी तक आए जहां उन्होंने नई बस्ती को स्थापित किया। ख़ासी भाषायी रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में बोले जाने वाली मोन-खमेर बोलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ख़ासी लोगों के प्राचीन साम्राज्य अधिकतर असम के कामरूप तथा नगांव जिलों और पूर्व की ओर मैदानों तक सीमित थे। ये साम्राज्य स्पष्ट रूप से कामाख्या (का मीका पर) प्राचीन माता, कोलोंग और कापलि, महादेम और अन्य थे। का मीका साम्राज्य को बाद में नोंगवा अथवा रानी के नाम से जाना गया जो पिछली शताब्दी के मध्य तक रहा। एलन विल्सन के अनुसार प्राचीन समय में ख़ासी बहुत अधिक शक्तिशाली लोग थे।

गारो लोगों का शुरू का इतिहास रहस्य में डूबा हुआ है। अधिकतर परंपराओं से पता चलता है कि तिब्बत उनका घर था जहां से उनके पूर्वज विभिन्न स्थानों में चले गए। उनकी यात्रा के दौरान वे कामीखा, कमखा और कामाख्या से जुड़े। गारो परंपरा उनके एक महान राजा नोकमा अबोंग चिरेपु पर केन्द्रित है जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने इस भूमि पर विभिन्न जनजातियों को मिलाया और उन्हें एक राज्य के अंतर्गत एक समान लोगों के रूप में लाए।

जयंतिया जनजाति ऑस्ट्रिक प्रजाति के हिन्युट्रेप से संबंधित है। जयंतिया हिल्स में निवास करने वाले लोगों को गारो हिल्स में रहने वाले लोगों द्वारा सिंटेङ्ग कहा जाता है। विद्वानों का यह मानना है कि वे तिब्बत-चीन से मोखमेर समूहों से विस्थापित हो कर भोजन तथा आश्रय के लिए यहाँ आए थे। जयंतिया साम्राज्य पुराना साम्राज्य था जो प्रमुख रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में फैला हुआ था। ब्रिटिश राज में उनके क्षेत्र को मिला लिया गया। ब्रिटिश और जयंतिया लोगों के बीच संघर्ष चला। जब वर्ष 1935 में राजनैतिक सुधार किए गए और भारतीय राज्यों तथा क्षेत्रों को अधिक स्वायतता दी गई तब ख़ासी, गारो और जयंतिया हिल्स पर ब्रिटिश रेजीडेंट प्रशासक द्वारा ही प्रशासन जारी रहा। वर्ष 1950 में गारो हिल्स, संयुक्त ख़ासी और जयंतिया हिल्स को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत लाया गया। जिला परिषद के पास प्रशासनिक नियंत्रण था। 1972 में मेघालय बनने के परिणामस्वरूप पहाड़ियों के विकास के लिए तीन स्वायत्त जिला परिषदें बनीं। ये तीन परिषदें थीं –

  1. ख़ासी स्वायत्त जिला परिषद
  2. जयंतिया स्वायत्त जिला परिषद
  3. गारो स्वायत्त जिला परिषद

जिला परिषद को शिक्षा, न्यायिक विधायिका और प्रशासनिक कार्यों की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है।.

अर्थव्यवस्था:

मेघालय मूल रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है जिसमें इसकी कुल जनसंख्या का 80 प्रतिशत हिस्सा आजीविका के लिए प्रमुख रूप से कृषि पर निर्भर है। राज्य में कृषि-जलवायु विविधता के कारण बागवानी के विकास की व्यापक संभावनाएँ हैं, जो शीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय फलों तथा सब्जियों की खेती के लिए बहुत संभावना पैदा करता है।

इसके अतिरिक्त यहाँ की प्रमुख खाद्य फसलें हैं चावल और मक्का, मेघालय को इसके संतरों (ख़ासी मंडारियन), अनानास, केलों, जैकफ्रूट, शीतोष्ण फलों जैसे बेर, आड़ू, नाशपाती आदि के लिए जाना जाता है पारम्परिक रूप से उगाई जाने वाली प्रमुख व्यावसायिक फसलों में मुख्यतः हल्दी, अदरक, काली मिर्च, सुपारी, बटेलविना, तापिओका, छोटी स्टेपल कपास, जूट तथा मेस्ता, सरसों और सफ़ेद सरसों शामिल हैं। वर्तमान में गैर-पारंपरिक फसलों जैसे तिलहन, काजू, चाय एवं कॉफी, ऑर्किड और व्यावसायिक फूलों पर अधिक ज़ोर दिया जा रहा है।


माइका जिप्सम और कोयले सहित यहाँ के समृद्ध खनिज भंडार का अभी दोहन नहीं किया गया है।

त्योहार:

वांगला त्योहार गारो लोगों के सालजोंग (सूर्य-देवता) के सम्मान में अक्तूबर-नवंबर के दौरान एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है।

राज्य की बड़ी ईसाई जनसंख्या द्वारा दिसंबर के माह में क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

 

 रुचि के स्थान:

वार्ड्स झील –ठीक शहर (शिलोंग) के बीच में स्थित इस कृत्रिम झील का नाम असम के मुख्य आयुक्त विलियम वार्ड के नाम पर रखा गया है।

वेई डेम (मीठा झरना) – यह उमखेन धारा पर एक सुंदर झरना है।

कीटवैज्ञानिक संग्रहालय (तितली संग्रहालय) –मैसर्स वांखर, रियातसमतिया, शिलोंग के निजी स्वामित्व वाला संग्रहालय है।

नर्तियांग –विशाल मूर्तियों का एक समूह है जो शिलोंग से लगभग 65 किमी. और जोवाई से 24 किमी. दूर स्थित है।

सिंदई-अथवा सिंदई गुफाएँ का प्रयोग जयंतिया राजा और विदेशी आक्रमणकारियों के बीच युद्ध के समय में छुपने के लिए किया जाता था और ये जोवाई में स्थित हैं।

सिजु गुफाएँ –गारो हिल्स में सैमसंग नदी के तट पर झूलती हुई चट्टान पर स्थित, जिसे स्थानीय रूप से दुबखोल अथवा चमगादड़ की गुफा कहा जाता है।

इमिखंग डेयर –जल के विद्युतीकरण झरने के साथ एक जल-प्रपात।

रोंग्रेंगिरी –तुरा से लगभग 79 किमी. की दूरी पर स्थित यह एक ऐतिहासिक स्थान है जहां गारो लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध उनकी अंतिम लड़ाई लड़ी थी।

चेरापुंजी, मावासिनराम (विश्व में सर्वाधिक वर्षा)