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The Illustrated Jataka & Other Stories of the Buddha by C. B. Varma Introduction | Glossary | Bibliography

094 –  जनपद कल्याणी नंदा

बुद्ध के भाई नंद की मंगेतर जनपद कल्याणी नंदा अपने काल की अपूर्व रुपसी थी। उसका नाम ‘जनपद कल्याणी’ इसलिए पड़ा था कि उसका रुप, लावण्य और शोभा और श्री समस्त जनपद के लिए कल्याणकारी माना जाता था। नंद से उसका प्रगाढ प्रेम था और उनसे शादी की आशा में वह फूले न समा रही थी।

किन्तु जिस दिन वह नंद के साथ परिणय-सूत्र में बंधने जा रही थी और अपनी शादी की सारी तैयारियों को निहार-निहार पुलकित हो रही थी ठीक उसी समय उसने नंद को बुद्ध के साथ बुद्ध के भिक्षाटन के कटोरे को लिये प्रासाद से बाहर जाते देखा। फिर बहुत देर तक उनके लौटने की राह तकती रही । देर शाम तक नंद वापिस न लौटे। तभी अचानक उसे यह सूचना दि गयी कि नंद भी गृहस्थ त्याग भिक्षु बन चुके थे। इस सूचना से जनपद कल्याणी नंदा को गहरा आघात लगा और वह मूर्व्हिच्छत हो गई।