Buddhist Fables

Buddhist Classics

Life and Legends of Buddha

The Illustrated Jataka & Other Stories of the Buddha by C. B. Varma Introduction | Glossary | Bibliography

102 –  कस्सप बुद्ध

कस्सप बुद्ध पालि परम्परा में परिगणित चौबीसवें बुद्ध थे। इनका जन्म सारनाथ के इसिपतन भगदाय में हुआ था, जहाँ गौतम बुद्ध ने वर्षों बाद अपना पहला उपदेश दिया था।

काश्यप गोत्र में उतपन्न कस्सप को पिता का नाम ब्रह्मदत्त था और माता का नाम धनवती। उनके जन्मकाल में वाराणसी में राजा किकी राज्य करते थे। इनकी धर्मपत्नी का नाम सुनन्दा था, तथा पुत्र का नाम विजितसेन।

दो हज़ार वर्षों तक गृहस्थ जीवन भोगने के बाद उन्होंने संयास का मार्ग अपनाया। सम्बोधि के पूर्व उनकी धर्मपत्नी ने उन्हें खीर खिलाई थी और सोम नामक एक व्यक्ति ने आसने के लिए घास दिये थे। उनका बोधि-वृक्ष एक वट का पेड़ था।

कस्सप बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसिपतन में दिया था। तिस्स और भारद्वाज उनके प्रमुख शिष्य थे तथा अतुला और उरुवेला उनकी प्रमुख शिष्याएँ। उनके काल में बोधिसत्त का जन्म एक ब्राह्मण के रुप में हुआ था, जिनका नाम ज्योतिपाल था।

बीस हज़ार वर्ष की अवस्था में कस्सप का परिनिर्वाण काशी के सेतव्य उद्यान में हुआ था।

फाह्यायान और ह्मवेनसाँग ने भी कस्सप बुद्ध के तीर्थस्थलों की चर्चा की है।

संस्कृत परम्परा में कस्सप बुद्ध कश्यप बुद्ध के नाम से जाने जाते हैं।