पुस्ताकालय

बंगलुरू क्षेत्रीय केंद्र के पुस्त,कालय का उद्घाटन ज्ञानपीठ पुरस्कृनत सुप्रसिद्ध कन्न्ड़ विद्वान प्रोफेसर यू.आर. अनंतमूर्ति द्वारा 2012 में किया गया था। यह पुस्तंकालय एक विस्तृकत कक्ष में अवस्थिूत है जिसमें पठन-वाचन की पर्याप्तय सुविधाएं मौजूद हैं।

बंगलुरू क्षेत्रीय केंद्र के पुस्ताकालय में लगभग 13,500 पुस्तककें हैं। इनमें से 4600 पुस्तृकें अंग्रेजी की, 3000 पुस्त्कें कन्न ड़ एवं अन्यौ बंगलुरू क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं, हिन्दीं और संस्कृ त की हैं। ये पुस्त्कें संगीत, नृत्यक, साहित्यय, आत्मभ-चरित्र, भारतीय इतिहास, कला, मूर्तिकला, धर्म, भाषा, दर्शन आदि विषयों पर हैं।

पुस्तयकालय में जर्नल और समाचार-पत्र खंड भी है। प्रोफेसर श्रीनिवास राजू और डॉ. माया राव ने 3560 पुस्तनकें दान में दी हैं। अंग्रेजी, हिन्दी , संस्कृात और अन्य् बंगलुरू क्षेत्रीय की पुस्तयकों के अलावा कन्न ड़ की पुस्तहकों को विशेष स्थानन दिया गया है। वैबसाइट पर दिए गए कैटलॉग की सुविधा के कारण ये पुस्तुकें हर व्य क्तिी को आसानी से सुलभ हैं। पुस्तदकालय में फोटोकॉपी की सुविधा है। पुस्तककालय में पुस्त।क-वाचन के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।

विद्यार्थियों के लिए 100/- रुपया प्रतिमाह का या फिर 250/- प्रतिवर्ष का मामूली सदस्य ता शुल्का रखा गया है। उनके लिए नवीकरण का शुल्कक 150/- रुपया वार्षिक है। अन्यय व्यषक्तिायों के लिए सदस्यकता शुल्के 500/- रुपया वार्षिक है और नवीकरण शुल्कर 300/- वार्षिक है। आजीवन सदस्ययता शुल्के 5000/- रुपए है। अधिक समर्पित पाठकों को आकर्षित करने के लिए पहले 100 सदस्यों् से कोई शुल्कर नहीं लिया जाना है।

पुस्त कालय और उसकी सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

श्री कृष्ण मूर्ति हेगड़े, पुस्ताकाध्य क्ष- फोन नं. 09731155990

प्रतिलिप्‍यंकन

बंगलुरू क्षेत्रीय केंद्र में प्रतिलिप्‍यंकन यूनिट भी है जिसमें भारत भर की विभिन्नल संस्थापओं जैसे कि- भंडारकर प्राच्य शोध संस्था्न (पूना); सरस्वोती महल पुस्त कालय (तंजावुर); प्राच्यल शोध संस्थाीन (मैसूर), राजकीय प्राच्यर पांडुलिपि पुस्तेकालय (चेन्नहई); सरस्वंती भवन पुस्त कालय (वाराणसी) आदि में रखी दुर्लभ पांडुलिपियों की लगभग 13,500 माइक्रोफिल्मेंन हैं। ये पुस्त कें कला, संस्कृमति और धर्म के क्षेत्र के विभिन्न रुचिकर विषयों पर हैं।