| ब्रज-वैभव |
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साम्प्रदायिक ब्रज |
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वर्तमान काल में इसी को व्रज या ब्रजमंडल
कहते है। इसकि परधि में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से
सम्वधित सभी स्थान और उनके गौ-चारण के सभी बन-उपबन आ
जाते है। पूर्वोक्त
साम्प्रदायिक ब्रज की यात्रा मथुरा से आरम्भ होकर मथुरा में ही
समाप्त होती है, किन्तु यह नगर इसके केन्द्र में न होकर
दक्षिणी किनारे पर स्थित है। यात्रा का अधिकांश मार्ग मथुरा के
पश्चिम, पश्चिमोत्तर और उत्तर में तथा कुछ मार्ग पूर्व और
दक्षिण-पूर्व में होता हुआ जाता है। इसके ठीक दक्षिण में यात्रा
नहीं जाती है। इस ब्रज की उत्तरी सीमा शेषशायी तक है तथा
इसकी पश्चिमी सीमा कामबन और इसके निकट की चरण
पहाड़ी तक। इसकी पूर्वी सीमा मथुरा जिले के भांट ग्राम से
लोहबन तक है। इसके दक्षिण-पूर्व की सीमा पर बलदेव और
दक्षिण-पश्चिम की सीमा पर तालबन कुमुदबन हैं। इस प्रकार से
यह साम्प्रदायिक ब्रज का स्वरुप निर्धारित हुआ। |
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