ब्रज-वैभव |
मथुरा का सप्त पुरियों में स्थान |
|
भारतवर्ष के सांस्कृतिक और आधात्मिक गौरव की आधारशिलाऐं इसकी सात महापुरियां हैं। 'गरुडपुराण' में इनके नाम इस क्रम से वर्णित हैं-
इनमें मथुरा का स्थान असोध्या के पश्चात अन्य पुरियों के पहिले रखा गया है। पदम पुराण में मथुरा का महत्व सर्वोपरि मानते हुए कहा गया है कि यद्यपि काशी आदि सभी पुरियाँ मोक्ष दायिनी है तथापि मथुरापुरी धन्य है। यह पुरी देवताओं के लिये भी दुर्लभ है। २ इसी का समर्थन 'गर्गसंहिता' में करते हुए बतलाया गया है कि पुरियों की रानी कृष्णापुरी मथुरा बृजेश्वरी है, तीर्थेश्वरी है, यज्ञ तपोनिधियों की ईश्वरी है यह मोक्ष प्रदायिनी धर्मपुरी मथुरा नमस्कार योग्य है। ३
१.
अयोध्या मथुरा माया काशी कांञ्ची अवंतिका।
पुरी द्वारवती चैव सत्तैता मोक्षदायिका
।। (गरुड पुराण) २.
काश्यात्यो यद्यपि सन्ति पुर्यस्तासां
हु मध्ये मथुरैव धन्या।
तां पुरी प्राप्त मथुरांमदीयां सुर
दुर्लभाम् (पदम् पुराण ७३-४४, ४५) ३.
काश्यादि सर्गायदिसंति लोके तासातु
मध्ये मथुरैव धन्या ।। ३३।।
पुरीश्वरी कृष्णापुरीं बृजेश्वरीं,
तीर्थेश्वरीं यज्ञ तपोनिधिश्वरीम्। मोक्षप्रदी धर्मधुरांधरां परां मधोर्वने श्री मथुरां नामाम्यहम् ।। ३४।। (गर्ग संहिता |
© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र