ब्रज-वैभव |
ब्रज के आदर्श आचार-विचार |
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मनुस्मृति में भारतवर्ष के हृदय-स्थल के रुप में ब्रम्हर्षि देश का उल्लेख हुआ है। इसी ब्रम्हर्षि देश का उल्लेख हुआ है। इसी ब्रम्हर्षि देश के अरन्तर्गत कुरु, मत्य, पंचाल और शूरसेन ४ देशों की स्थित मानी गयी है। मनु ने यहां के निवासियों के आचार-विचार समस्त पृथ्वी के मानवों के लिये आदर्श बतलाये हैं।१ मनु का यह भी आदेश है कि राजा को इसी भू-भाग के छोटे बड़े वीरों से अपनी सेना का संयोजन करना चाहिये।२ इस प्रकार शूरसेन अर्थात प्राचीन ब्रज प्रदेश के निवासियों के आदर्श चरित्र और अनुपम वीरत्व की यह पुरातन स्वीकारोक्ति है।
१.
कुरुक्षेत्रं चं मत्स्यश्च पञ्चाला: शूरसेनका:।
एष ब्रम्हर्षि देशोवै ब्रम्हावत्तदिननन्तरः।।
एतद्देश प्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः।
स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन, पृथिव्यां
सर्वमानवः।। २.
कुरुक्षेत्रांश्व मत्स्यश्व पञ्चाला: शूरसेनजान्। दीर्धाल्लधूंश्चैव नरानग्रानीकेषु योजयेत्।। (मनुस्मृति, ७-१९३)
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