ब्रज के यातायात के साधनों के रुप में रेल, मोटर, बैलगाड़ी, ऊँट गाड़ी, ताँगा, इक्का, रिक्शा आदि उपलब्ध हैं तथा ब्रज सीमान्तर्गत आगरा का खेरिया हवाई अड़ा भी उपलब्ध है।
रेलमार्ग
- ब्रज में कई रेल मार्ग विधमान हैं, जिनके नाम - मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे हैं। इन रेलमार्गों के द्वारा यात्री ब्रज भूमि तक आसानी से आते हैं और वापिस जाते हैं। साथ ही साथ इन मार्गों के द्वारा माल के ढोने का महत्वपूर्ण कार्य होता है।
मध्य रेलवे - यह मार्ग दिल्ली से आकर कोसी, मथुरा, आगरा, धौलपुर होता हुआ बम्बई तक जाता है।
पश्चिम रेलवे - इसका एक मार्ग दिल्ली से आकर कोसी, मथुरा, भरतपुर, बयाना होता हुआ बम्बई जाता है। दूसरा मार्ग आगरा, अछनेरा, भरतपुर होता हुआ अहमदाबाद पहुँचता है।
पूर्वोत्तर रेलवे - इसकी एक शाखा आगरा, अछनेरा, मथुरा, हाथरस, कासगंज होती हुई काठगोदाम जाती है और दूसरी शाखा कासगंज से कानपुर जाती है।
उत्तर रेलवे - इसकी एक शाखा दिल्ली से मथुरा, आगरा, टूंडला होती हुई कलकत्ता जाती है और दूसरी शाखा खुर्जा अलीगढ़, हाथरस, टूंडला, फिरोजाबाद, इटावा होते हुए कलकत्ता चली जाती है।
मथुरा से वृन्दाबन तक, हाथरस नगर से हाथरस जंकशन तक, आगरा से टूंडला तक आगरा से फतेहपुर सीकरी तक प्रधान रेलों के उपमार्ग भी हैं।
सड़क मार्ग
- ब्रज में सड़कों के कच्चे और पक्के दोनों प्रकार के मार्ग हैं। पक्के मार्ग प्रधान नगरों
में होकर जाते हैं तथा कच्चे मार्ग ग्राम और कस्बों में होकर जाते हैं। प्रधान पक्के मार्ग मथुरा-बरेली, मथुरा-अलीगढ़, मथुरा-ड़ीग, मथुरा-भरतपुर, दिल्ली-आगरा और अलीगढ़-एटा आदि हैं।
मथुरा-बरेली सड़क १२० मील लम्बी है। यह मथुरा से राया, मुरसान, हाथरस, सिकन्दरा राऊ, कासगंज, सोरों होते हुए बरेली जाती है।
मथुरा-अलीगढ़ सड़क ५० मील लम्बी है। यह मथुरा से राया सासनी होती हुई अलीगढ़ पहुँचती है।
मथुरा-ड़ीग सड़क २३ मील लम्बी है। यह मथुरा से गोबर्धन होते हुए डीग जाती है।
मथुरा-भरतपुर सड़क २४ मील लम्बी है। यह मथुरा से भरतपुर जाती है।
दिल्ली-आगरा सड़क १२७ मील लम्बी है। यह वास्तव में दिल्ली-बम्बई सड़क का भाग है, जो दिल्ली से फरीदाबाद, पलवल, होडल, कोसी, छाता, मथुरा, फरह, रुनकता होते हुए आगरा पहुँचती है।
अलीगढ़-एटा सड़क सुप्रसिद्ध ग्रान्ट ट्रंक रोड का भाग है, जो दिल्ली, बुलंदशहर, खुर्जा, अलीगढ़ से सिकन्दरा राऊ एटा कन्नोज होता हुआ आगे चला जाता है।
जल मार्ग - पहिले जव रेल और बड़ी-बड़ी पक्की सड़के नहीं थी, तव यमुना नदी के द्वारा बड़ी-बड़ी नावों से याता-यात किया जाता था। उस समय यमुना नदी में जल बहुत गहरा होता था, जिसके कारण उसमें बड़ी-बड़ी नावें चला करती थीं। उन नावों से यात्री और समान को आगरा, मथुरा से दिल्ली लाया ले जाया जाता था। छोटी नावें छोटी नदियों और नहरों में चला करती थी। जव से यमुना नदी से नहरें नीकाली गई हैं, तव से इसमें बहुत कम जल रहता है, अतः प्रत्येक ॠतु में नावों से यातायात करने में सुविधा नहीं हैं। फिर रेल और सड़कों से यातायात बढ़ जाने से जलमार्ग वैसे थी उपेक्षित है। अतः जलमार्ग अब बन्द हो चुका है।
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