अष्टछाप-कोष्ठक
यहाँ हम एक ऐसा कोष्ठक दे रहे हैं, जिसमें अष्टछाप के कवियों के नाम, उनके दीक्षा- गुरु, जन्म- संवत उनकी जाति, अष्टछाप की स्थापना के समय उनकी आयु, उनका स्थायी निवास और उनके देहावसान के संवत दिए गए हैं। इस कोष्ठक से ज्ञात होगा कि अष्टछाप में ब्राह्मण, क्षत्रिय और शूद्र तीन वणाç के व्यक्ति के। उसमें वयोवृद्ध कवियों के साथ युवक कवि भी थे। दो कवि कुंभनदास और चतुर्भुजदास नाते में पिता- पुत्र थे। काव्य- महत्व की दृष्टि से उसमें सर्वोच्च श्रेणी के महाकवि से लेकर साधारण श्रेणी के कवि तक थे।
अष्टछाप का
कोष्ठक
सं. |
नाम |
दीक्षा- गुरु |
जन्म
संवत |
जाति |
अष्टछाप की स्थापना
के समय आयु |
स्थायी
निवास |
देहावसान |
१ |
कुंभनदास |
श्रीबल्लाभाचार्य |
सं.१५२५ |
गौरवा क्षत्रिय |
७७
वर्ष |
जमुनावतौ |
सं.
१६४० |
२ |
सूरदास |
श्रीबल्लाभाचार्य |
सं.१५३५ |
सारस्व्त
ब्राह्मण |
६७
वर्ष |
परासौली |
सं.
१६० |
३ |
परमानंददास |
श्रीबल्लाभाचार्य |
सं.१५५० |
कान्यकुब्ज
ब्राह्मण |
५३
वर्ष |
सुरभीकुंड |
सं.
१६४१ |
४ |
कृष्णदास |
श्रीबल्लाभाचार्य |
सं.१५५३ |
कुनवी कायस्थ |
४९
वर्ष |
बिलछूकुंड |
सं.
१६३६ |
५ |
गोविंदस्वामी |
श्री विट्ठलनाथ |
सं.१५६२ |
सनाढ्य
ब्राह्मण |
४०
वर्ष |
कदमखंडी |
सं.
१६४२ |
६ |
नंददास |
श्री विट्ठलनाथ |
सं.१५७० |
सनाढ्य
ब्राह्मण |
३२
वर्ष |
मानसीगंगा |
सं.
१६४० |
७ |
छीतस्वामी |
श्री विट्ठलनाथ |
सं.१५७३ |
मथुरिया चौबे |
२९
वर्ष |
पूछरी |
सं.
१६४२ |
८ |
चतुर्भुजदास |
श्री विट्ठलनाथ |
सं.१५७५ |
गौरवा क्षत्रिय |
२७
वर्ष |
जमुनावतौ |
सं.
१६४२ |
संदर्भ :-
१. संवत १९६० में प्रकाशित डाकोर संस्करण के
अनुसार।
२. वही।
३. सं. १७५२ में लिखित और सिद्धपुर पाटन
में प्राप्त "भावनायुक्त' प्रति के अनुसार।
४. "रसाल' कृत "हिंदी साहित्य का इतिहास' पृ. ३७४
५. अप्रैल सन १९३२ की "हिंदुस्तानी' पत्रिका
में प्रकाशित।
६. हिंदी साहित्य का इतिहास, पृ. १४०, ३५२
७. प्राचीन वार्ता रहस्य, द्वितीय भाग, ""अष्टछाप पर अभिप्राय'' पृ. ३
८. गोपाल प्रसाद व्यास, ब्रज विभव, दिल्ली, १९८७ ई. पृ. २९५- ३०५
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