ब्रज-वैभव

पुनीत स्थल ब्रजधाम

मथुरा


ब्रज में जितने भी स्थान हैं वे प्राय: सभी श्री कृष्ण की लीला-स्थली हैं। इन सभी में भगवदीय पुनीत भाव व्याप्त है। कुछ प्रमुख लीला-स्थलियों का क्रमश: संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार है:-

मथुरा

प्राचीनकाल से मथुरा एक प्रसिद्ध नगर रहा है। आर्यों का यह पुण्यतम नगर है और दीर्धकाल से प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केन्द्र रहा है। भारतीय धर्म, कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी, दयानन्द के गुरु स्वामी-विरजानन्द, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस मथुरा का नाम जुड़ा हुआ है।

योगीश्वर आनन्दकन्द भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली होने के कारण यह वैष्णवों का तो महान तीर्थ स्थान है ही किन्तु जैन तथा बौद्ध धर्म भी शताब्दियों तक यहाँ फलते-फूलते रहे हैं जिनके मंदिर-मठों के अवशेष इस क्षेत्र में यत्र-तत्र दृष्टिगोचर होते हैं।

यह प्राचीन काल में भारत के प्रबल प्रतापी यदुवंशियों के 'शूरसेन' नामक गणराज्य की राजधानी थी जो तत्कालीन राजनीति का एक प्रमुख केन्द्र थी। मनुस्मृति, वृहत्संहिता, महाभारत, ब्रह्मपुराण, वाराह पुराण, अग्निपुराण, हरिवंश पुराण, वाल्मीकि रामायण आदि अनेक प्रमुख ग्रंथों में इसका मधुरा, मधुपुरी, महुरा, मधुपुर नाम से उल्लेख मिलता है तथा प्राचीन अभिलेखों में 'मथुरा' तथा 'मथुला' भी देखने में मिलता है।

काशी की भाँति यह भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में से एक है तथा 'अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, काँची, अवन्तिका पुरी द्वारावति चैव सप्तते मोक्षदायिका' साधारणत: इसके बारे में लोग कहते हैं - 'मथुरा तीन लोक से न्यारी यामें जन्मे कृष्ण मुरारी' यह उक्ति विशेष महत्वपूर्ण है।

मथुरा को पहले 'मधुपुरी' भी कहा जाता था। कहते हैं कि इसे 'मधु' नामक दैत्य ने बसाया था। कालांतर में यह 'शूरसेन' राज्य की राजधानी बनी और उसी वंशानुक्रम में उग्रसेन के आधिपत्य में आई। राजा उग्रसेन के कंस नामक क्रूर पुत्र हुआ जिसको मगध के घोर आततायी एवं शक्तिशाली राजा जरासंघ की अस्ति-नस्ति नामक दो कन्याएँ ब्याही थीं। 

कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बन्दी बनाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं स्वेच्छाचारी राजा के रुप में मथुरा के सिंहासन पर आरुढ़ हो गया। उसी क्रूर अत्याचारी कंस ने अपनी चचेरी बहन देवकी तथा उसके पति वसुदेव को किसी आकाशवाणी को सुनकर अपने को निर्भय रखने के विचार से जेल में डाल दिया था। कंस तथा उसके क्रूर शासन को समाप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ से कारागृह में जन्म लिया और अद्भुत लीलाओं के क्रमों का विकास करते हुए अपने मामा कंस का वध करके ब्रजवासियों के कष्टों को दूर किया। अपने माता-पिता तथा नाना उग्रसेन को कारागृह से मुक्त कराया तथा उन्हें पुन: सिंहासन पर बिठाया।


अपने जामाता कंस के मारे जाने पर रजासंघ ने बहुत क्रोधित हुआ। वह श्रीकृष्ण से निरंतर युद्ध करता रहा और अंत में श्रीकृष्ण के कूटनीति के जाल में फँस कर भीम द्वारा मृत्यु को प्राप्त हुआ।

मथुरा की स्थिति

मथुरा जिला २७० २८' उत्तरी अक्षांश तथा ७७० ४१' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है तथा मथुरा नगर यमुना नदी के तट पर बसा है। दिल्ली के निकट होने के कारण मथुरा को सदैव संघर्षों का सामना करना पड़ा है। सन् १८०३ ई. में दौलतराव सिंधिया को परास्त कर ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस पर अपना अधिकार कर इसे फौजी छावनी बना दिया।

 

 

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