मनके
यह मोतियों का एकहरी या दोहरी या तिहरी पंक्ति का आभूषण है, जो गले में पहना जाता है।
नेकलेस
यही गले से चिपकने वाले छोटे आकार के तथा वक्ष तक फैले हुए लंबे आकार के आभूषण हैं, जो मोतियों या इस जैसी दूसरी वस्तुओं के बने होते हैं। खजुराहो की प्रतिमाओं में स्री और पुरुष दोनों के गले में दो लड़ियों वाले नेकलेस देखे जा सकते हैं। चार लड़ियों वाले नेकलेस प्रायः नारियों के गले में ही देखा गया है।
हंसली
कंदरिया महादेव की नारी प्रतिमाओं में यह आभूषण देखने को मिलता है।
केयूर अंगत
नारियाँ भुजाओं में केयूर अंगत पहनती थी। केयूर अंगत भारी तथा हल्के दोनों देखने को मिले हैं। भारी भुजावंद्य वृताकार डिजाइन या फूलों के डिजाइन से युक्त पाया गया है। यह आभूषण प्रायः नारी प्रतिमाओं में देखा जा सकता है।
कड़े या कंगन
यह नारी का प्रिय आभूषण है। नारी प्रतिमाओं के हाथ में यह पाया गया है। कहीं- कहीं एक ही हाथ में दो कड़े पहने देखा जा सकता है। सामान्यतः मोती जड़े कंगन देखने को मिले हैं।
अंगूठी
यह नारियों के मध्यम अंगूली में पहनी हुई स्पष्ट दिखाई देती हैं। नारियों में तर्जनी और कनिष्ठिका पर भी अंगूठियाँ पहनने का रिवाज पाया जाता है।
मेखला
मेखला एक पेटी के रुप में कमर में बाँधी पायी जाती है। स्थानीय लोग इसे काँची भी कहते हैं। नारी प्रतिमाओं में जंघाओं और नितंबों पर बंधी मेखलाएँ दर्शनीय हैं। जवारी मंदिर की एक मूर्ति की मेखला में घंटियाँ भी लगी हुई है।
पाजेब, तुलाकोठी, मंजीरा, नुपूर तथा हंसक पावों में पहने जाने वाले प्रमुख एवं प्रसिद्ध आभूषण हैं। दो- दो या तीन- तीन पंक्तियों की पाजेब पहनने का रिवाज दृष्टिगत होता है। तत्कालीन नारियों में किनकिनी युक्त पाजेब पहनने का रिवाज देखने को मिलता है।
सिर पर बाँधने वाले आभूषण नारी और देवियों के लिए अलग- अलग था। देवियों के सिर पर प्रायः क्रीट मुकुट पहनने का रिवाज था। फूल झूमका कानों में पहनने का सर्वप्रिय आभूषण था। खजुराहो की प्रतिमाओं में नाक बींधे जाने का निशान नहीं है। इससे यह तात्पर्य निकलता है कि यहाँ नाक में आभूषण पहनने का रिवाज नहीं था।
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