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मारग्रेट दास |
अगर आप छत्तीसगढ़ के महासमुंद में जायेंगे और मारग्रेट दास के बारे में जानना चाहेंगे तो वहां के लोग आपको उस बस्ती में ले जायेंगे जहां देवार लोग रहते हैं। देवार जो कभी देवपूजक परिवार हुआ करता था, देवार जिसे बाद में नाच गाने और मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करता चला गया समाज। मारग्रेट दास ने उनके लिए ही बस्ती बसाई। देवार वर्ग को छत्तीसगढ़ का सबसे अधिक पीड़ित वर्ग कहा गया है। देवार लोग हमेशा भटकते रहते थे। वे लोग तंबू में रहते थे, उसी तंबू में पैदा होते और उसी में एक दिन मृत्यु हो जाती थी। कभी-कभी वे सूअर पालन करके जीने की चेष्टा करते। बच्चों को स्कूल में कभी भेज नहीं पाये क्योंकि उन्हें अछूत जो कहा जाता था। नाच गानों के लिए अभी भी इनको आमंत्रित किया जाता है। अगर छत्तीसगढ़ की कला मंडली की ओर देखेंगे तो हमें यह पता चलता है कि हर एक कला मंडली की शोहरत देवार वर्ग के कारण ही हुई है। पर उनके उन्नयन के प्रति किसी का भी ध्यान नहीं गया। मारग्रेट दास ऐसी महिला थीं जिन्होंने आजीवन देवारों के लिए बस्ती बसाने की प्रचेष्टा की और उसमें सफल हुईं। सन् 1980 के आसपास वे सफल हुईं।मारग्रेट दास का जन्म सन् 1942, 23 सितम्बर को हुआ। माँ शान्ति बाई अपनी पूरी जिन्दगी मिशन के माध्यम से समाज की सेवा करती रहीं। मारग्रेट रायपुर मिशन स्कूल में पढ़ती थी। उसके बाद वे सभी रायपुर छोड़कर बलौदा बाज़ार चले गये। वहां के मिशन स्कूल में मारग्रेट दास शिक्षिका रहीं। उनकी शादी इशादास नाम के व्यक्ति से हुई जो ट्रक ड्राईवर थे। मारग्रेट दास बाद में महासमुन्द जाकर रहीं और समाज के लिए कार्य करती रहीं।मारग्रेट दास कांग्रेस से जुड़कर कार्य करती रहीं। वे बहुउद्देशीय शिल्पशाला में महिला शाखा की अध्यक्षा बनी थीं। अपने जीवन के आखरी समय तक वे गरीबों के लिए लड़ती रहीं। बहुत ही साहसी महिला थीं। ट्रक ड्राईवर एवं क्लीनरों के यूनियन की भी अध्यक्षा रहीं। मारग्रेट दास गांधी जी के आदर्शो को हमेशा अपनाकर कार्य करती थीं। वे सभी धर्मों में श्रद्धा रखती थीं। उनका कहना था कि धर्मों में अन्तर नहीं है। अन्तर तो है मनुष्य के दिल में है जिसके कारण धर्म के नाम पर वे वैर फैला रहे हैं। मारग्रेट दास हमेशा कहा करती थीं कि सबसे बड़ा धर्म है राष्ट्रधर्म। देवारों के लिए वे पूरी जिन्दगी काम करती रही ताकि उन्हें जीने के लिए एक अच्छी जिन्दगी मिले। सन् 1996 में 11 नवम्बर को मारग्रेट दास चल बसीं। जाने से पहले न जाने कितने लोगों का उन्होंने मार्ग दर्शन किया। |
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Content Prepared by Ms. Indira Mukherjee
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