छत्तीसगढ़ |
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श्रीमती फूलकुँवर बाई |
श्रीमती फूलकुँवर बाई थी श्री मनोहर लाल श्रीवास्तव की माँ। दोनों थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी। फूल कुँवर जी के पति भिभोंरि गांव के पटवारी थे। उनका नाम था श्री रघुनाथ दयाल श्रीवास्तव जो बाद में रायपुर चले आये नौकरी करने। वहां एक छोटी-सी झोपड़ी बनाकर रहने लगे अपने परिवार के साथ। पर एक के बाद एक उनके दो बेटे और दो बेटियां चल बसे। मनोहर तब बहुत छोटा था। मनोहर को लेकर उनके माता-पिता रहते थे। पर उनको इतना धक्का पहुंचा था कि स्वाभाविक जिन्दगी जीना भी असम्भव हो गया था। मनोहर को आसपास के लोगों ने जैतूसाव मठ में जगह दिला दी। उस वक्त जैतूसाव मठ राष्ट्रीय आन्दोलन का केन्द्र था। सन् 1920 में पं. सुन्दर लाल शर्मा के आमन्त्रण के कारण गांधीजी रायपुर आये। जैतूसाव मठ के महंत लक्ष्मीनारायण दास राष्ट्रीय आंदोलन में मुख्य रुप से योगदान कर रहे थे। इसलिये वे महात्मा गांधी को मठ में ले आए।वहां बारह साल के मनोहर ने अपनी माँ फूल कुँवर बाई के साथ गांधीजी के दर्शन किये। दोनों मन्त्रमुग्ध हो गये थे। और दोनों ने ही ठान लिया कि देश के लिए अपनी जिन्दगी न्यौछावर कर देंगे। सन् 1921 में पं. माधवराव सप्रे ने रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की थी। मनोहर उस विद्यालय का पहला छात्र बना। सन् 1921 के असहयोग आंदोलन के वक्त सभी लोग शासकीय नौकरी, उपाधि त्याग रहे थे। माँ फूल कुँवर और बेटा मनोहर दोनों इससे प्रभावित हो रहे थे।सन् 1927 में रघुनाथ जी का देहान्त हो गया था। फूलकुँवर जी अकेली रहती थीं उस छोटी-सी कुटिया में और मनोहर मठ में रहता था। बेटे की शादी पोची बाई से कर दी माँ ने। इसके बाद सब एक साथ रहने लगे।सन् 1932 के आंदोलन में फूलकुँवर बाई डॉ. राधाबाई के साथ विदेशी वस्रों की दुकानों में पिकेटिंग करने लगीं। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बेटा मनोहर अपनी पत्नी पोची बाई को मायके पहुंचाकर चला गया पिकेटिंग करने। वह भी जेल पहुंच गया।सन् 1942 की अगस्त क्रान्ति में पोची बाई भी अपनी सास फूलकुँवर बाई के साथ सत्याग्रह कर जेल गयीं।लक्ष्मीदास जी भी उस वक्त सत्याग्रह करके जेल चले गये थे। उनकी माँ पार्वती बाई भी। उस वक्त मंदिर के मुनीम, पुजारी, साधु-संत, विद्यार्थी सभी कारागार में बंदी रहे। श्रीमती फूलकुँवर बाई कहती थी ; " मेरे सारे अपने जेल में बंद हैं" और वे यह बड़ी खुशी के साथ कहा करती थीं। |
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Content Prepared by Ms. Indira Mukherjee
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