हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 41


IV/ A-2039

शान्तिनिकेतन

25.9.40

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       आपको इसके पहले मैंने एक पत्र दिया था, उसका कोई उत्तर आपकी ओर से नहीं मिला। शायद वह पत्र आपको मिला ही नहीं।

       मैंने निम्नलिखित दो बातें आपसे पूछी थीं-

       (१) क्या बम्बई जाते समय क्षिति बाबू को आप टीकमगढ़ में अभी बुलाना चाहते हैं, या लौट कर या किसी अन्य समय? २० अक्टूबर को उन्हें बम्बई में काम है। मैं भी साथ रह सकता हूँ। कृपया लिखिये कि वे अपना कार्यक्रम स्थिर कर लें।

       (२) टीकमगढ़ में जो मूर्तियाँ आपने संग्रह की हैं, उनके लिये मैंने हमारे पुराने मित्र पं. दुर्गा प्रसाद जी का नाम सुझाया था। वे तीन वर्ष तक हालैंड और इंग्लैंड में आरक्योलाजी पढ़ कर डाक्टर होकर हाल ही में लौटे हैं। अभी खाली हैं। केवल उनके यात्रा और रहने का खर्च लगेगा और मूर्तियों का बहुत अच्छा केटलाग हो जायेगा।

       इन दिनों बातों का उत्तर शीघ्र लिख कर दें।

       और सब कुशल है। आशा है, आप सानन्द हैं।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

पिछला पत्र   ::  अनुक्रम   ::  अगला पत्र


© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय है ।

प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली