हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 68


IV/ A-2070

हिन्दी-समाज

  शान्तिनिकेतन

2.2.45

परम श्रध्देय पंडितजी,

              सादर प्रणाम!

       आपका और अन्य मित्रों के आग्रहपूर्ण पत्र पा चुका हूँ। मलेरिया से इस साल परेशान हूँ। जिस समय श्रीयुत महेन्द्र शास्री जी का पत्र आया था, उस समय मुझे बुखार था। चार दिन से बुखार नहीं आया है। आशा करता हूँ स्वस्थ हो जाऊँगा। पर आपके पास न पहुँच सकने के कारण मेरा मन बहुत व्याकुल हो रहा है। आशा करता हूँ, छपरा में आपकी यात्रा साहित्यिक जागरण में बहुत सहायक होगी। मेरी विवशता आप आसानी से समझ सकते हैं मेरे अन्तर में वहाँ न पहुँच सकने के कारण कैसी छटपटाहट हुई है, यह मैं लिख सकता।

       आशा है, आप प्रसन्न हैं।

आपका

हजारी प्रसाद  

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली