हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 85


IV/ A-2086

  शान्तिनिकेतन

दिनांक : 21.11.49

पूज्य पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       दोनों कृपापत्र मिल गए हैं। विनोद जी यहाँ आ गए हैं। २१नवंबर को आए हैं। काम शुरु कर दिया है।

       मैं धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा हूँ। थोड़ा थोड़ा चलने फिरने लगा हूँ। आप टीकमगढ़ छोड़ रहे हैं और स्वतंत्र पत्रकार के रुप में रहने की सोच रहे हैं। यह बात थोड़ी चिन्ताजनक है। हमारे इस देश में स्वतंत्र और मनस्वी पत्रकारों का सम्मान अभी बहुत अधिक नहीं है।

       आपने विषय सुझाने की लिखी है। विषयों की कमी नहीं पड़ेगी परन्तु आपके स्वास्थ्य, उम्र आदि को भी देखना पड़ेगा। विनोद जी के बारे में तो एक स्केच लिखने की आवश्यकता है। उनके विषय में कुछ सूचनाएँ इस पत्र के दूसरे पृष्ठ पर दे रहा हूँ। परन्तु मेरे विषय में अभी लिखने की आवश्यकता नहीं है। बदले में मैं दूसरा विषय सुझा सकता हूँ।

       शेष कुशल है। आशा है, प्रसन्न हैं।

आपका

हजारी प्रसाद

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली