हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 87


IV/ A-2089

  शान्तिनिकेतन

दिनांक : . 13.2.50

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       आपने बंगाल की कला के विषय में जो एक लेख का उद्धरण भेजा था उसे मैंने श्री नंदलाल बाबू को दिया था। वे उस पर कुछ लिखना चाहते थे। उन्हें लगा था कि लेखक ने बिना समझे बूझे व्यर्थ का लिख मारा है। पर वह कागज़ मिल नहीं रहा है। यदि आपको जल्दी हो तो इसी आशय का नोट दे दें और थोड़ा रुकना संभव हो तो एक प्रति फिर भिजवा दें। नंदबाबू के नोट से उसका मूल्य बढ़ जाएगा।

       शेष कुशल है।

       आशा है, प्रसन्न हैं।

आपका

हजारी प्रसाद दिवेदी

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली