The Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma
096 -   Phussa Buddha / फुस्स बुद्ध        

चौबीस बुद्धों की परिगणना में फुस्स बुद्ध का स्थान अट्ठारहवाँ हैं। इनका जन्म काशी के सिरिमा उद्यान में हुआ था। इनके पिता का नाम जयसेन था जो एक कुलीन क्षत्रिय थे। मनोरत्थपूरणी के अनुसार उनके पिता का नाम महिन्द्र था। उनकी एक बहन थी और तीन सौतेले भाई। इनकी पत्नी का नाम किसागोतमा था, जिससे उन्हें आनन्द नाम के पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई थी।

परम्परा के अनुसार उनकी लम्बाई अट्ठावन हाथों की थी तथा वे गरुड, हंस तथा सुवम्णभार नामक तीन प्रासादों में छ: हज़ार वर्षों तक रहे। तत: एक हाथी पर सवार हो उनहोंने गृहस्थ-जीवन का परित्याग किया था। एवं छ: वर्षों के तप के बाद उन्होंने सम्बोधि प्राप्त की।

सम्बोधि के ठीक पूर्व उन्होंने एक श्रेष्ठी कन्या सिरिवड्ढा के हाथों खीर और सिखिवड्ढ नामक एक संयासी द्वारा प्रदत्त घास का आसन ग्रहण किया था। एक अमन्द (आम्लक) वृक्ष के नीचे विद्या बोधि की प्राप्ति की।

सुखित और धम्मसेन उनके प्रमुख शिष्य थे तथा साला और उपसाला उनकी प्रमुख शिष्याएँ। संजय, धनन्जय तथा विसारक उनके प्रमुख उपासक थे तथा पदुमा और नागा उनकी प्रमुख उपासिकाएँ। उपर्युक्त दोनों महिलाएँ उनकी मुख्य प्रश्रय-दा थीं।

उन दिनों बोधिसत्त अरिमंद नामक स्थान में उत्पन्न हुए थे। तब उनका नाम निज्जितावी था।

नब्बे हजार वर्ष की अवस्था में उनहोंने सेताराम (सोनाराम) में परिनिर्वाण की प्राप्ति की। तत: उनके अवशेष बिखेर दिये गये थे। 

Phussa Buddha on the panel Cave 17, Ajanta

P hussa, the eighteenth of the twenty-four Buddhas, was born in Sirima-uyyana in Kashi. The name of his father was Jayasena, who was a Khattiya noble. (According to Manorathapurani , a commentary on the Anguttara Nikaya the name of his father was Mahinda). His mother was Sirima. He had a sister named Ambapali; and three step-brothers: one was Uruvela Kassapa. He was married to Kisagotami who bore him a son named Ananda (also called Anupama).

His body was fifty-eight cubit high. He lived in three palaces, namely, Garuda, Hamsa and Suvannabhara for six thousand years. He then renounced the world riding on an elephant. He practised austerities for six years until he attained Enlightenment.

A merchants daughter, Sirivaddhaa, offered him milk-rice before his enlightenment under the amalaka (or amanda ) tree; and an ascetic Sirivaddha presented him grass for his seat to be laid down under the tree.

His chief disciples were Sukhita and Dhammasena among the men; and Sala and Upasala among the women. His personal attendants were Sambhiya, Dhananjaya and Vishakha among men; and   Paduma and Naga among the women. The two women were also his chief patrons.

Those days, the Bodhisatta was born in a Khattiya family in Arimanda. His name was then Vijjitavi.

Phussa Buddha lived for ninety thousand years and died at Setarama (Sonarama) in Kusinara (modern Kushinagar). His relics were scattered.

 

See Buddhavamsa 19; Buddhavamsa Atthakatha 192 f; Manorathapurani 1.144; 165.

 


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