मास्क और उनके विविध रूप सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के बहुत ही
महत्वपूर्ण रूप हैं। यह कई माध्यमों में से एक है जिसके जरिए संस्कृ तियों
ने उनके आंतरिक और बाह्य वास्तविकताओं को परिभाषित करने के लिए उनके
शक्तिशाली अनुभूति और सबसे सूक्ष्म भावनाओं को आवाज दिया है। मास्क स्वयं के
एक पहलू के बजाय किसी व्य्क्ति के कुल व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह वेश
परिवर्तन को भी दर्शाता है जो किसी व्यक्ति के असली पहचान को छिपाता है।
यह विश्व के 22 देशों से आईजीएनए के संग्रह से चयनित मास्क छवियों के
डेटाबेस शामिल की पेशकश कर मुखौटे के अध्ययन में सहयोग करने के लिए एक
इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया प्रस्तुति है। इस डेटाबेस पर आधारित कियॉस्क को
फरवरी 1998 में “मनुष्य और मास्क” पर सार्वजनिक प्रदर्शनी में स्थापित किया
गया था।
इस तरह के इंटरएक्टिव डेटाबेस उपयोगकर्ता को इस संग्रह का ब्राउज़ करने में
मदद करेगा:
(i)या तो नौ भौगोलिक क्षेत्रों, देशों, या विशिष्ट स्थानों द्वारा। या,,
(ii) व्यक्तिगत या मास्क के समूहों द्वारा, पचास से अधिक श्रेणियों में
वर्गीकृत।
जॉन ईमिग, ब्राउन विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर, ने पूरे संयुक्त राज्य
अमेरिका, बाली और भारत भर में बालिनिज मुखौटा तकनीक के आधार वन मैन शो का
प्रदर्शन किया, न्यू गिनी, बाली और भारत के नकाबपोश नाटक पर बड़े पैमाने पर
लिखा गया, हाजारी भंद की जीवन पर एक फिल्म बनाई, चित्तौड़गढ़ में एक कलाकार
तथा वर्तमान में उड़ीसा के प्रहलाद नाटक के अध्यियन पर कार्य कर रहा है।
उन्होंाने नकाबपोश प्रदर्शन पर एक किताब लिखी है: अनुष्ठान और रंगमंच में
स्वरयं और अन्यह का नाटक।
अतिरिक्त डेटाबेस का सहयोग निम्नक द्वारा दिया गया था –
उषा मलिक, पूर्व-सचिव, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली।
दादी डी. पदमजी, इशारा पपेट थिएटर (इशारा कठपुतली रंगमंच), नई दिल्ली।.
|