मालवा

प्राचीन मालवा के राजनीतिक प्रदेश

अमितेश कुमार


प्राचीन मालवा के दो प्रमुख राजनीतिक प्रदेश थे --

१. अवंति
२. आकर (दशार्ण)

कालांतर में इन प्रदेशों का संबंध, मालव जाति से स्थापित हो गया, जिसके फलस्वरुप इन्हें सम्मिलित रुप से मालवा के रुप में जाना जाने लगा। वाल्मीकि रामायण के एक उद्वरणानुसार अवन्ति को दो भागों में ही बाँटा गया था -- अब्रावन्ति तथा अवन्ति। उन दोनो की पहचान क्रमशः, आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति के रुप में की गई है, जिसकी राजधानी क्रमशः विदिशा और उज्जयिनी थी।

१. अवन्ति

यदु (यादव) जाति के हैध्य वंशीय अवन्ति ने मालवा क्षेत्र में शासन किया माना जाता है। उसी के नाम पर, यह क्षेत्र अवन्ति के नाम से जाना जाने लगा। अवन्ति प्राचीन भारत के अत्यंत समृद्धिशाली राज्यों व षोडस महाजनपदों में से एक था, जिसमें पश्चिमी मालवा का एक विस्तृत भू- भाग सम्मिलित था। कमलाकांत शुक्ल के अनुसार इसको विस्तार वर्त्तमान ग्वालियन से नर्मदा तक है। पूर्व व पश्चिम में यह बेतवा तथा चंबल नदी के मध्य में स्थित है। टी. डब्ल्यू रीज डेविड्स का मत है कि दूसरी शताब्दी ई. तक इसे अवन्ति कहा जाता था, किन्तु सातवी या आठवीं शताब्दी के पश्चात, इसे मालवा कहा जाने लगा।

महावस्तु के अनुसार, अवन्ति स्थूल रुप से आधुनिक मालवा, निमाड़ व मध्यप्रदेश में इसके निकटवर्ती भागों का द्योतक है। एस. वी. चौधरी इसे नर्मदा के दोनों तरफ उत्तर में राजस्थान से लेकर, दक्षिण में ताप्ती तक विस्तृत मानते हैं। कई साहित्यिक कृतियाँ व अभिलेख, इसकी दक्षिणी सीमा नर्मदा नदी तक ही मानती है। एक जैन परंपरानुसार अवंति की सीमा में एरण के उत्तर-पूर्व ५० मील की दूरी पर स्थित तुम्बनन (आधुनिक सुमेन, गुना जिला) भी सम्मिलित था।

विभिन्न साहित्यिक लेखों में अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी बताई गई है, परंतु कहीं- कहीं राजधानी के रुप में महीष्मती का भी नाम आता है। इस आधार पर भण्डारकर ने अवन्ति के दो भागों की कल्पना की। उत्तरी भाग, जिसकी राजधानी उज्जयिनी थी तथा दक्षिणी भाग , जिसकी राजधानी महिष्मती थी। मललसेकर का विचार है कि माहिष्मती का राजनीतिक महत्व क्षीण हो जाने पर, उज्जयिनी को राजधानी बनाया गया। कालिदास ने मेघदूत में इसका उल्लेख वैभवमयी नगरी विशाला के रुप में किया है। राजनीतिक, धार्मिक व व्यापारिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व था।

२. आकर (दशार्ण) क्षेत्र

महावस्तु में जंबूद्वीप के, सोलह महाजनपदों में दशार्ण की गणना की गई है। इसका नामांकरण उस क्षेत्र से प्रवाहित होने वाली दशार्ण (धसान) नदी के नाम पर हुआ है। इसका विस्तार दशार्ण (धसान) नदी के आस-पास ही मालवा के पूर्वी भाग में हुआ था। इसके पश्चिम में अवन्ति (पश्चिमी मालवा), पूर्व में दशार्ण ( धसान), उत्तर में वत्स एवं कौशल राज्य तथा दक्षिण में नर्मदा नदी प्रवाहमान थी।

दशार्ण की राजधानी विदिशा थी, जिसका राजनीतिक एवं व्यापारिक महत्व था।

 

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