भोजपुर अमितेश कुमार |
प्राचीन काल का यह नगर
"उत्तर भारत का सोमनाथ' कहा जाता है। यह स्थान विदिशा
से ४५ मील की दूरी पर रायसेन जिले
में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। गाँव
से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल
शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके
शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार
राजा भोज ( १०१० ई.- १०५३ ई. ) ने किया था।
अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर
मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर पूर्ण रुपेण तैयार नहीं बन पाया। इसका चबूतरा बहुत ऊँचा है, जिसके गर्भगृह में एक बड़ा- सा पत्थर के टूकड़े का पॉलिश किया गया लिंग है, जिसकी ऊँचाई ३.८५ मी. है। इसे भारत के मंदिरों में पाये जाने वाले सबसे बड़े लिंगों में से एक माना जाता है। विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से इस बात का स्पष्ट पता चलता है। इस मंदिर के अध्ययन से हमें भारतीय मंदिर की वास्तुकला के बारे में बहुत- सी बातों की जानकारी मिलती है। भारत में इस्लाम के आगमन से भी पहले, इस हिंदू मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बना अधुरा गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। चूँकि यह मंदिर ऊँचा है, इतनी प्राचीन मंदिर के निर्माण के दौरान भारी पत्थरों को ऊपर ले जाने के लिए ढ़लाने बनाई गई थी। इसका प्रमाण भी यहाँ मिलता है। मंदिर के निकट स्थित बाँध को राजा भोज ने बनवाया था। बाँध के पास प्राचीन समय में प्रचूर संख्या में शिवलिंग बनाया जाता था। यह स्थान शिवलिंग बनाने की प्रक्रिया की जानकारी देता है। भोजपुर से कुछ दूरी पर कुमरी गाँव के निकट सघन वन में वेत्रवती नदी का उद्गम स्थल है। यह नदी एक कुण्ड से निकलकर बहती है। भोपाल ताल भोजपुर का ही एक तालाब है। इसके बाँध को मालवा के शासक होशंगशाह ( १४०५ - १४३४ ) में अपनी संक्षिप्त यात्रा में अपने बेगम की मलेरिया संबंधी शिकायत पर तुड़वा डाला था। इससे हुए जलप्लावन के बीच जो टापू बना वह द्वीप कहा जाने लगा। वर्तमान में यह "मंडी द्वीप' के नाम से जाना जाता है। इसके आस- पास आज भी कई खंडित सुंदर प्रतिमाएँ बिखरी पड़ी हैं। यहाँ मकर- संक्रांति पर मेला भी लगता है।
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