मालवा

संदर्भ - सूची

अमितेश कुमार


१. (क) आर.डी.बनर्जी, दि एज आॅफ दि इम्पीरियल गुप्ताज, पृष्ठ ६९
   (ख). गौरीशंकर चटर्जी, हर्षवर्द्धन, पृष्ठ २५८
२. परमेश्वरीलाल गुप्त, गुप्त साम्राज्य, पृष्ठ ३६७
३. अल्टेकर, वाकाटक- गुप्त युग, पृष्ठ २८१
४.अल्टेकर, स्टेट एण्ड गवर्नमेंट इन ऐंश्येंट इण्डिया, पृष्ठ १०९
५.आभीर- प्रार्जून- सनकानीक- काक- खरपरिकादिभिश्च सव्र्व- करदानाज्ञाकरण- प्रणामागमन परितोषित- प्रचण्ड- शासनस्थ-  फलीट का इ.इ, भाग- ३, पृष्ठ ६
६. हिंदी पालिटी, पृष्ठ १६१
७.वही, फलीट, का.इ.इ.,भाग- ३, पृष्ठ २५
८. वाकाटक- गुप्त युग, पृष्ठ २८३
९. अल्टेकर स्टेट एण्ड गवर्नमेंट इन ऐंश्येंट इण्डिया, पृष्ठ १०९,द्रष्टव्य है- इनसाइक्लोपीटिया आॅफ दि सोशल साइंसेज, भाग-९-१०, पृष्ठ ५७९
१०.मत्स्यपुराण, २२०/२०
११.अथर्ववेद, ५/२२/२४
१२ अल्टेकर, प्राचीन भारतीय शासन पद्धति, पृष्ठ २४८
१३. दण्ड प्रणयनार्थाय राजा सृष्ट: स्वयम्भुवा।
देवभागानुपादाय सर्वभूतादि गुप्तये।। - मत्स्य पुराण, २२६/१
राजा के दैवी उत्पत्ति के संदर्भ में द्रष्टव्य है - महाभारत, शांतिपर्व, ६७/४०, मनुस्मृति,७/५
विष्णुपुराण, १/१३-१४
१४. ""लोकधाम्नोदेवस्य'' श्रीराम गोयल, गुप्तकालीन अभिलेख, पृष्ठ २१
१५. ""सर्वदेवतावतारण'' हर्षचरित, द्वितीय उच्छवास, पृष्ठ ७२
१६. फलीट. का.इ.इ., भाग ३ पृष्ठ २५
१७. श्रीराम गोयल, गुप्त कालीन अभिलेख, पृष्ठ ९४
१८. सरकार, से.इ. भाग १, पृष्ठ ४२१
१९. वही, पृष्ठ ४१३
२०. एपिग्राफिया इण्डिका, भाग १, पृष्ठ६७-७६ तथा वही, भाग ७, पृष्ठ१५५
२१. हर्षचरित (सम्पादित परब) पृष्ठ ५२
२२. अल्टेकर, वाकाटक गुप्त युग, पृष्ठ २८५
२३. ""अंग्रजी या वयसि सम्परिवर्तमानः
शास्रानुसार- परिवर्किद्धत शुद्ध- बुद्धि:
सद्धभ्र्म माग्र्गमिव राजसु दर्शयिष्य, 
नृक्षा विधि भरतवज्जगत करोति।। सरकार, से.इ. भाग १ पृष्ठ ४०२
२४. अल्टेकर वाकाटक गुप्त युग, पृष्ठ २८६
२५. आर्विभूतावलेपेरविनय- पटुभिल्लँघिताचार- माग्गै:,
र्मोहादैदं- युगीनरपशुभ- रतिभि: पीडयमाना नरेंद्र।।
-- सरकार, से.इ. भाग १, पृष्ठ ४१८
२६. हर्ष, पृष्ठ ३२
२७. राज्ञों हि व्रतमुत्थानं यज्ञ: कार्यानुशासनम्
दक्षिणा वृत्ति साम्यं च दीक्षितस्याभिषेचनम।।
-- अर्थशास्र, १/१९/४-५
२८. तस्य धर्मः प्रजा रक्षा वृद्धप्राज्ञोपसेवनम
दर्शन व्यवहाराणामुत्थानं च स्वधर्मसु।। नारद प्रकीर्णक, ३३
२९. इण्डियन ऐण्टिक्वरी, भाग ५ पृष्ठ ३१ व ५१ तथा एपिग्राफिया इण्डिका, भाग ७,पृष्ठ २३५
३०. ""कर्मणा मनसा वाचा कर्तव्यं प्राणिभिर्हितम्।
हर्षेणेतत्समाख्यातं धमर्निनंनुत्तमम।। -- वही, भाग १,पृ. ६७ तथा भाग- १,पृ.१५५
३१.बहूनामेक संरोधः पिता पुत्र हितो भवेत्।
अन्यत्रापद ऐश्वर्य ज्येष्ठ भागो तू पूज्यते।
-- कौटिल्य का अर्थशास्र, (सम्पादित शामा शास्री), १/१७
३२. अल्टेकर, वाकाटक गुप्त युग, पृष्ठ २८७
३३. भगवती प्रसाद पांथरी, भारत का स्वर्णयुग, पृ. २९७
३४. फलीट, का.इ.इ. भाग ३ पृष्ठ-६
३५. वही, पृष्ठ २७
३६. तत्पदे तस्य कुलजं गुणयुक्तं पुरोहितः।
प्रकृत्यनुमतिं कृत्वा स्थापयेद्राज्य गुप्तये।।
-- शुक्र नीति सार (सम्पा मिहिरचंद्र), २/२, ६५-६६

 

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