पंचाल की जलवायु


पंचाल की जलवायु सुखद एवं स्वास्थ्यकर है। ग्रंथों में इस ॠग्वेदकालीन भू- भाग की जलवायु को समशीतोष्ण कहा गया है। परंतु समय के साथ स्थल के स्वरुप व सीमाओं में परिवर्तन हो जाने से इस क्षेत्र के जलवायु में भी परिवर्तन आया है। जाड़ों और गर्मियों के तापमान में बहुत अंतर रहता है, जो एक तरह से विषम जलवायु का एक रुप माना जा सकता है। वर्षा ६०'' से ८०'' तक हो जाती है, जिससे यह क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा में बहुत समृद्ध है। गर्मी के दिनों में कभी- कभी तेज हवाएँ चलने लगती है। फसलों का उत्पादन मौसम के अनुसार होता है।


पंचाल के जीव- जंतु :-

उत्तरी पंचाल की सीमावर्ती तराई के सघन वनराशि में नाना प्रकार के जंगली जीव- जंतुओं का बसेरा है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हाथी है। इसके अलावा गाय, घोड़ा, गदहा, बकरी, भेंड़, ऊँट, कुत्ता, सिंह, हिरण, भेड़िया ( उरामथि ), सालावृक, लकड़बग्घा, बाघ, रीछ, सुअर, जंगली भैंसा, खरगोश, बंदर, गीदड़, गोह, सपं, नेवला, आदि मिलते हैं। पक्षियों में कठफोड़वा, मयूर, शकुन, सुपर्ण ( बाज/ गिद्ध ), बटेर, कबूतर, उल्लू, तोता, तीतर, चकवा, हंस आदि के पाये जाने का प्रमाण साहित्यिक स्रोतों से मिलता है।

 

 

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