रुहेलखण्ड |
Rohilkhand |
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पुरातत्व - पुरावशेष/पुरानिधियाँ |
रुहेलखण्ड का पुरातत्व एवं प्राप्त पुरावशेष रुहेलखण्ड क्षेत्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुरातात्विक उत्खनन 1940 -44 के मध्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रायबहादुर के० एन० दीक्षित द्वारा किया गया , जिसमें प्राचीन अहिच्छत्रा का गौरवपूर्ण अतीत प्रकाश में आया तथा अनेक अनछुये तथ्यों पर प्रकाश पड़ा।
कालान्तर में रुहेलखण्ड के अनेक स्थानों से महत्वपूर्ण पुरानिधियाँ प्रकाश में आती रहीं जिनमें शुंग , कुषाण, गुप्त एवं उत्तरगुप्त कालीन प्रस्तर एवं मृण्मूर्तियाँ , सिक्के , स्थापत्य निर्माण के अवशेष व ईटें , मनके व मृण्पात्र व ताम्रनिधियाँ आदि महत्वपूर्ण हैं। अहिच्छत्रा ( वर्तमान बरेली जनपद में स्थित ) के अतिरिक्त रुहेलखण्ड क्षेत्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुरानिधियाँ शाहजहाँपुर जनपद से प्राप्त हुई जिनमें द्वितीय सहस्राब्दी ई० पू० की ताम्रनिधियाँ अथवा ताम्रास्र प्रमुख है; जो आकस्मिक रुप से शाहजहाँपुर जनपद के बहरिया, सारथौली, इन्दिलापुर, ढ़का नामक पुरास्थलों से प्रतिवेदित हुये। इनमें ताम्रनिधियों की प्राप्ति के पश्चात बहरिया नामक पुरास्थल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास , संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रो० जी० आर० शर्मा एवं प्रो० विद्याधर मिश्र द्वारा उत्खनन करने पर गैरिक मृदभाण्ड प्राप्त हुये जिन्हें अनेक विद्वान ताम्रनिधियों के समकालीन मानते हुये सैन्धव सभ्यता के आस - पास अनुमानित करते हैं। इसके अतिरिक्त शाहजहाँपुर जनपद की महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में जनपद की सदर तहसील में स्थित बाँसखेड़ा नामक पुरास्थल से 1894 ई० में प्राप्त हर्ष का बाँखेड़ा ताम्रपत्र अभिलेख अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हर्ष सम्वत् 22 ( 628 ई०) के इस अभिलेख में हर्ष द्वारा अहिच्छत्रा मुक्ति के अंगदीय विषय के मर्कटसागर ग्राम को भारद्वाज गोत्रीय ब्राह्मणों को दान देने में का उल्लेख मिलता है । साथ ही हर्ष की वंशावली तथा हर्ष के काल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ इस ताम्र अभिलेख द्वारा प्राप्त होती है।
अहिच्छत्रा व शाहजहाँपुर जनपद के अतिरिक्त विगत वर्षो में पीलीभीत जनपद में स्थित अभयपुर नामक पुरास्थल की खोज का उत्खनन म० ज्यो० फु० रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो० उदय प्रकाश अरोड़ा के निर्देशन में किया गया । इस पुरास्थल के उत्खनन में विद्वान उत्खननकर्ता को चित्रित धूसर मृदभाण्ड संस्कृति के पुरावशेष प्राप्त हुये हैं। इनके अतिरिक्त प्रो० प्रकाश अरोड़ा के निर्देशन में रुहेलखण्ड के अन्य जिलों का पुरातात्विक सर्वेक्षण व अन्वेषण जारी है।
रुहेलखण्ड में हुए उपरोक्त पुरातात्विक कार्यों (उत्खनन/ अन्वेषण) से इस क्षेत्र का प्राचीन अलिखित इतिहास प्रकाश में आया तथा साथ ही क्षेत्र के पुरातत्व को उत्खननों के द्वारा वैज्ञानिक आधार भी मिला। |
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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey
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