हिन्दू धार्मिक स्थलों के रुप में रुहेलखण्ड में असंख्य मन्दिरों तथा तीर्थों के दर्शन होते हैं । जन मानस में इन स्थलों के प्रति प्रगाढ श्रद्धा तथा भक्ति है। प्रत्येक स्थल से कोई न कोई मान्यता सम्बद्ध है तथा प्रत्येक की अपनी मौलिक विशेषताएँ हैं ।
इन स्थलों में निम्न विशेष महत्वपूर्ण हैं --
i ) श्री काली माता जी
मन्दिर (मुरादाबाद)
ii ) चौरासी घण्टा
मन्दिर (मुरादाबाद)
iii )
श्री झारखण्ड शिव मन्दिर (मुरादाबाद)
iv )
श्री मन्दिर बगिया जोकी राम (रामपुर)
v ) कोसी
मन्दिर (रामपुर)
vi ) गौरी
शंकर मन्दिर (गुलहड़िया - जिला बरेली)
vii )
पुरैना मन्दिर (आॅवला - जिला
बरेली)
viii )
सम्भल के विभिन्न मन्दिर तथा तीर्थ (सम्भल - जिला
मुरादाबाद)
ix )
शीतला देवी मन्दिर (जिला - शाहजहाँपुर)
x ) काली देवी मन्दिर
(जिला - शाहजहाँपुर)
xi )
अलखनाथ मन्दिर (जिला- बरेली )
xii ) धोपेश्वर नाथ
मन्दिर (बरेली)
xiii ) बनखण्डी नाथ
मन्दिर (बरेली)
xiv )
लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बरेली)
xv )
टीबरीनाथ मन्दिर (बरेली)
xvi )
नीलकण्ठ महादेव का मन्दिर (
बदायूँ )
i )
श्री काली माता जी मन्दिर (मुरादाबाद)
मुरादाबाद शहर के
लाल बाग नामक स्थान पर श्री काली
माता जी का पुराना मन्दिर स्थित है ।
लगभग
150 वर्ष
पूर्व इस स्थान पर नागा बाबा मिस्री गिरी जी ने
पूजा - पाठ के लिए एक मठ का निर्माण करवाया ।
कालान्तर में नागा बाबा मिस्री गिरी जी की
मृत्यु के उपरान्त यह स्थान काली देवी के
मन्दिर के रुप में विकसित हुआ ।
वर्तमान में इस स्थान पर काली माता के दो
मन्दिर स्थित हैं जिन्हें क्रमश: छोटी
काली तथा बड़ी काली नाम से जाना जाता है । इन
मन्दिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ
काली के अन्य मन्दिरों की भाँति
पशु - बलि इत्यादि कर्मकाण्डों का
प्रचलन नहीं है। यहाँ की पूजा
सात्विक है ।
|
श्री काली
माता जी का मन्दिर (मुरादाबाद) |
इन दोनों मन्दिरों
के निकट प्राचीन समय में हुए
21
महात्माओं की समाधियाँ हैं । लाल
बाग स्थित काली मन्दिर में बारे
में मान्यता है कि भक्तगण यदि पवित्र
हृदय से माँ की उपासना करें ,
तो उन्हें मनवांछित फल प्राप्त
होता है । इसी मान्यतावश
यहाँ विभिन्न पर्वों? पर हजारों
की संख्या में लोग काली की उपासना
के लिए आते हैं । |
श्री काली माता द्वार के बाहर रामनवमी
में लगी दुकानें (मुरादाबाद) |
ii ) चौरासी घण्टा
मन्दिर (मुरादाबाद)
मुरादाबाद नगर में स्थित चौरासी घण्टा
मन्दिर या कामेश्वर नाथ मन्दिर
लगभग
500 वर्ष पुराना है । इस मन्दिर के बारे में यह धारणा है कि
किसी समय लोगों ने अपनी इच्छा पूर्ण होने पर यहाँ घण्टे चढ़ाने प्रारम्भ किये । धीरे - धीरे इन घण्टों की संख्या चौरासी लाख तक पहुँच गई । इसी कारण इस मन्दिर का नाम चौरासी (लाख) घण्टा मन्दिर पड़ा । इस मन्दिर में आज भी असंख्य घण्टे टंगे देखे जा सकते हैं ।
हांलाकि इनकी संख्या चौरासी लाख नहीं है । चौरासी घण्टा मन्दिर में एक प्राचीन शिवलिंग स्थित है जिसे कामेश्वर नाथ शिवलिंग के नाम से पुकारा जाता है । आज भी इस मन्दिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण आते हैं और मनौती पूर्ण हो जाने पर घण्टे चढ़ाते हैं । |
चौरासी
घण्टा मन्दिर में लगे घण्टे (मुरादाबाद) |
iii )
श्री झारखण्ड शिव मन्दिर (मुरादाबाद)
मुरादाबाद नगर में स्थित
श्री झारखण्ड शिव मन्दिर भी अत्यन्त प्राचीन
मन्दिरों में एक है । इस मन्दिर में स्थित शिवलिंग के बारे में लोक धारणा
यह है कि यह शिवलिंग झाडियों के बीच से प्रकट हुआ था। इस घटना को एक दिव्य घटना मानकर लोगों ने शिवलिंग को वर्तमान स्थान पर स्थापित किया और इसके ऊपर मन्दिर का निर्माण कराया । तब से आज तक असंख्य लोग प्रतिदिन इस मन्दिर में आकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने
से झारखण्ड बाबा प्रसन्न होंगे और उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होगी ।
|
झारखण्ड
बाबा का प्राचीन शिवलिंग (मुरादाबाद) |
iv ) श्री मन्दिर बगिया जोकी राम (रामपुर)
2016 सम्वत् में निर्मित श्री मन्दिर बगिया जोकी राम का मन्दिर रामपुर में स्थित है। इस मन्दिर की विशेषता इसमें स्थित प्राचीन शिवलिंग है ।
शिवरात्रि तथा अन्य अवसरों पर लोग बड़ी संख्या में हरिद्वार से गंगा जल लाकर इस शिवलिंग पर प्रतिवर्ष चढ़ाते हैं ।
मन्दिर बगिया जो कि राम के निकट ही
200 वर्ष पूर्व हुए महापुरुष परशुराम की समाधि है। इस समाधि के प्रति लोगों में प्रगाढ़ आस्था है । श्रद्धालुओं की
मान्यता हैे कि बाबा परशुराम की
आत्मा अमर हैं और वह अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान जरुर करते हैं ।
v ) कोसी मन्दिर (रामपुर)
रामपुर नगर में स्थित रामलीला मैदान के निकट पुराना कोसी मन्दिर है । इस मन्दिर में एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है । लोग यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए उपासना करते हैं ।
vi ) गौरी शंकर मन्दिर (गुलहड़िया - जिला बरेली)
गौरी शंकर मन्दिर रुहेलखण्ड क्षेत्र के
प्राचीनतम धार्मिक स्थानों में से एक है । यह
मन्दिर आँवला तहसील (जिला बरेली) के
गुलहड़िया नामक ग्राम में स्थित हैं ।
यद्यपि मन्दिर का भवन अधिक पुराना नहीं है
लेकिन इसमें स्थापित पत्थर का शिवलिंग
लोक मान्यता के अनुसार कई हजार वर्ष
पुराना है । कुछ स्थानीय लोग इस
शिवलिंग को द्वापर युगीन बताते हैं।
संरचना की दृष्टि से इस शिवलिंग की
विशेषता यह है कि इस पर पार्वती का
मुख भी उकेरा गया है। स्थानीय लोगों के
अतिरिक्त रुहेलखण्ड के सभी इलाकों के
लोगों की इस मन्दिर और इसमें
स्थापित शिवलिंग में दृढ़ आस्था है ।
वास्तव में यह गुप्तकालिन शिवलिंग
है। |
गुलहड़िया
गौरीशंकर मन्दिर (बरेली) |
गुलहड़िया
गौरीशंकर मन्दिर का शिवलिंग
(बरेली) |
vii ) पुरैना मन्दिर (आॅवला - जिला बरेली )
आॅवला तहसील (जिला बरेली) के
पुरैना नामक स्थान पर में स्थित हैं । इस मन्दिर में स्थित शिवलिंग अत्यन्त प्राचीन है जिस पर पीतल का नक्काशी युक्त सुन्दर कवच चढ़ा हुआ हैं ।
शिवरात्रि तथा सावन के सोमवार के अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण यहाँ एकत्र होते हैं ।
viii ) सम्भल के विभिन्न मन्दिर तथा तीर्थ ( सम्भल - जिला मुरादाबाद)
मुरादाबाद जिले की तहसील सम्भल यहाँ स्थित असंख्य तीर्थों के कारण दूर -दूर तक प्रसिद्ध है । इस स्थल की मान्यता एक बड़े तीर्थ स्थल के रुप में स्थापित है । पौराणिक कथाओं में सम्भल के बारे में प्रचुर मात्रा में वर्णन मिलता है । पौराणिक कथाओं में सम्भल में स्थित
68 तीर्थ स्थलों का उल्लेख मिलता है। |
भगवान
कल्कि का मन्दिर (सम्भल) |
मनोकामना
तीर्थ (सम्भल) |
कुरुक्षेत्र
तीर्थ कुण्ड (सम्भल) |
यह तीर्थ आज भी किसी न किसी रुप में सम्भल में विद्धमान हैं । इन तीर्थों के नाम इस प्रकार हैं -
क्रमांक |
तीर्थों
का नाम |
पर्व
स्नानादि का समय |
1. |
अवन्तीसार |
हस्त नक्षत्र ,अष्टमी |
2. |
अंगारक |
प्रत्येक
मंगलवार |
3. |
अत्रिका |
श्रम ॠषि
पंचमी |
4. |
आन्नदसर |
बृधाष्टमी ,भाद्रपद चतुर्थी |
5. |
कान्ति |
भाद्रपद , कृष्ण तृतीया |
6. |
अर्ध्वरेता |
अष्टमी |
7. |
सूर्यकुण्ड |
सप्तमी
युक्त रविवार |
8. |
हंसतीर्थ |
चैत्र अष्टमी चैत्र कृष्ण अष्टमी |
9. |
कृष्णतीर्थ |
एकादशी |
10. |
सन्निहित |
वनयात्रा
में स्वेच्छा से नियमपूर्वक |
11. |
कुरुक्षेत्र |
संक्रान्ति - सूर्यग्रहण |
12.. |
पादोदक |
कार्तिक
मास ,कृष्ण द्वादशी |
13. |
श्वेत द्वीप |
वैशाख
शुक्ल चतुर्दशी |
14. |
ताक्ष्र्यकिश्व |
गणेश चौथ |
15. |
चन्द्रेश्वर |
चन्द्र ग्रहण |
16. |
लोलार्क |
भाद्रपद
शुक्लअष्टमी |
17. |
शंखमाधव |
मार्गशीर्ष
शुक्ल पंचमी |
18. |
दशाश्वमेघ |
ज्येष्ठ
शुक्ल प्रतिपदा से दशमी तक |
19. |
पिशाचमोचन |
श्रावण
शुक्ल चतुर्दशी |
20. |
नैमि
साख्य |
कार्तिकशुक्ल चतुर्दशी |
21. |
विजयतीर्थ |
विजय दशमी दशहरा |
22. |
धर्म हद |
मंगलवार चर्तुथी |
23. |
चतुस्सागर |
वन
यात्रा में स्वेच्छानुसार |
24. |
यमतीर्थ |
कार्तिक
शुक्ल द्वितीय |
25. |
मणि कर्णिका |
सोवती अमावस्या |
26. |
माहिष्मति नही |
बुद्धवार
युक्तनवमी |
27. |
ॠण
मोचन |
बृहस्पतिवार अष्टमी |
28. |
पापमोचन |
मार्गशीर्ष
शुक्ल अष्टमी |
29. |
कालोदक |
दीपावली के दिन |
30. |
सोमतीर्थ |
सोमवती अमावस्या |
31. |
गोतीर्थ |
गोवर्धन, कार्तिक
शुक्ल अष्टमी |
32. |
सुदर्शन
तीर्थ |
वन
यात्र में स्वेच्छानुसार |
33. |
रत्न
प्रयाग |
माघ
मास तथा सप्तमी |
34. |
क्षेमक
प्रयाग |
कृष्ण
जन्माष्टमी |
35. |
गन्धर्व
प्रयाग |
वन
यात्रा में स्वेच्छानुसार |
36. |
तारक
प्रयाग |
वन
यात्रा में स्वेच्छानुसार |
37. |
मृत्युतीर्थ |
कार्तिक
शुक्ल प्रतिपदा |
38. |
ज्येष्ठ
पुष्कर |
कार्तिक
शुक्ल पूर्णिमा |
39. |
मध्य
पुष्कर |
कार्तिक
शुक्ल पूर्णिमा |
40. |
कनिष्ठ पुष्कर |
कार्तिक
शुक्ल पूर्णिमा |
41. |
वृहमवर्त |
वैशाख
शुक्ल तृतीया |
42. |
नर्मदा |
तीर्थ
सूर्य सिंह संक्रान्ति |
43. |
नन्दा |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार व रविवार |
44. |
सुनन्दा |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार व रविवार |
45. |
सुमना |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार व रविवार |
46. |
सुशीला |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार |
47. |
सुरभि |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार |
48. |
विमलातीर्थ |
कार्तिक
मास प्रत्येक सोमवार |
49. |
गोमती तीर्थ |
संक्रांति |
50. |
गोदावरी तीर्थ |
भाद्र पद द्वाद्शी |
51. |
भारती तीर्थ |
श्रवण
मास की चतुर्दशी |
52. |
रेवा कुण्ड |
वैशाख
मास की तृतीया व चतुर्थी |
53. |
गोपाल तीर्थ |
मार्गशीर्ष की पंचमी |
54. |
मत्स्योदारी |
कार्तिक
शुक्ल नवमी |
55. |
देवखात |
प्रत्येक
पूर्णिमा |
56. |
विष्णुखात |
वन
यात्रा में स्वेच्छानुसार |
57. |
भागीरथ |
प्रत्येक अष्टमी |
58. |
त्रिसंध्यतीर्थ |
मेष की
सूर्य संक्रान्ति |
59. |
मलहानि |
दुर्गाष्टमी |
60. |
शर द्वीप तीर्थ |
प्रत्येक
शुक्ल की तृतीया |
61. |
चक्रतीर्थ |
प्रत्येक एकादशी |
62. |
रत्नयुग्म तीर्थ |
आश्विन कृष्ण नवमी |
63. |
पुष्प दन्त |
पुष्प नक्षत्र
युक्त नवमी |
64. |
कर्म
मोचन |
चैत्र
शुक्ल त्रयोदशी |
65. |
गुप्त
संज्ञक |
प्रत्येक द्वादशी |
66. |
गया तीर्थ |
सम्पूर्ण
श्राद्धुपक्ष |
67. |
मोक्ष तीर्थ |
प्रत्येक पूर्णमासी |
सम्भल स्थित उपरोक्त सभी तीर्थों के साथ कोई न कोई लोक मान्यता या लोकश्रुति अवश्य ही सम्बद्ध है। समस्त तीर्थों के साथ प्राय: एक सामान्य लोकश्रुति यह जुड़ी है कि इनमें से कुछ का निर्माण स्वयं किसी देवता ने किया था तथा कुछ तीर्थों का निर्माण अतीत में हुए किन्हीं दिव्य पुरुषों द्वारा स्वयं करवाया गया था। एक लोक श्रुति के अनुसार इन सभी तीर्थों का निर्माण स्वयं विष्णु ने एक ही रात में किया था।
प्राचीन काल से यह माना गया है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए गया के पश्चात् सम्भल का ही प्रमुख स्थान था। सम्भल के समस्त तीर्थों के बारे में यह धारणा है कि दीपावली पर्व को दो दिन उपरान्त सम्भल के इन तीर्थ स्थलों की परिक्रमा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
ix )
शीतला देवी मन्दिर (जिला - शाहजहाँपुर)
शाहजहाँपुर नगर में स्थित छोटा चौक नामक स्थान पर अनेक छोटे बड़े
मन्दिर स्थित हैं।इनमें शीतला देवी मन्दिर का विशेष धार्मिक महत्व है इस प्राचीन मन्दिर के बारे में यह मान्यता है कि सच्चे हृदय से माँगी गई कोई भी मनोकामना पूर्ण होती है ।
x ) काली देवी मन्दिर ( जिला - शाहजहाँपुर)
काली देवी मन्दिर शाहजहाँपुर नगर के निकट स्थित खन्नौत नदी के तट पर स्थित है। यह मन्दिर अत्यन्त प्राचीन है। यहाँ नवरात्र तथा रामनवमी के अवसर पर असंख्य श्रद्धालु एकत्र होते हैं और देवी की उपासना करते हैं। मन्दिर में स्थित काली देवी की प्राचीन प्रतिमा लोगों की श्रद्धा का केन्द्र है।
xi )
अलखनाथ मन्दिर (जिला- बरेली )
बरेली स्थित अलखनाथ का मन्दिर यहाँ के प्राचीनतम मन्दिरों में से एक
है। यहां अति प्राचीन शिवलिंग स्थित है। यह मन्दिर शैव सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। शिवरात्रि तथा सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां मेलों का आयोजन होता है। सावन के समस्त सोमवारों को श्रद्धालु यहां बड़ी मात्र में गरीबों को भोजन इत्यादि का दान देते हैं। इस मन्दिर की एक अन्य विशेषता है पानी में तैरता हुआ एक प्रस्तर खण्ड । ऐसी मान्यता है कि यह प्रस्तर खण्ड रामायण युगीन
उन खण्डों में से एक है जिनकी सहायता से श्री राम के नेतृत्व में हनुमान इत्यादि ने समुद्र पर पुल का निर्माण किया
था।
|
अलखनाथ
मन्दिर बरेली |
xii ) धोपेश्वर नाथ
मन्दिर (बरेली)
बरेली नगर में स्थित धोपेश्वर नाथ के शिव मन्दिर के
बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण ॠषि धूम (तिथि अज्ञात) ने करवाया था। उन्हीं के नाम पर इसका प्राचीन नाम धूमेश्वरनाथ मन्दिर था। कालान्तर में इसे धोपेश्वर नाथ मन्दिर नाम दिया गया । यहाँ अवध के नवाब आसफउद्दौला के द्वारा एक विशाल जलाशय का निर्माण करवाया गया, जो
आज भी विद्यमान है। शिवरात्रि तथा सावन के प्रत्येक सोमवार के अवसर पर असंख्य भक्तगण यहां शिव के दर्शन हेतु आते हैं। मन्दिर का प्रांगण अत्यन्त सुन्दर एवं मनोहारी है।
|
धोपेश्वरनाथ
मन्दिर (बरेली)
|
xiii ) बनखण्डी नाथ
मन्दिर (बरेली)
बनखण्डी नाथ मन्दिर भी बरेली के ऐसे मन्दिरों में है जिसका धार्मिक तथा प्राचीन महत्व है। इस मन्दिर का निर्माण
1857 की
क्रान्ति के प्रर्सिद्ध नेता दीवान शोभाराम ने करवाया था। इस प्राचीन मन्दिर का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यहाँ महापिण्ड का निर्माण द्रौपदी ने करवाया था। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि तथा सावन के सोमवारों के अवसर पर भव्य मेले का
आयोजन किया जाता है। |
बनखण्ड़ीनाथ
मन्दिर
|
xiv )
लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बरेली)
यह मन्दिर बरेली शहर के मध्य में स्थित है । यहाँ देवी लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की सुन्दर प्रतिमाएं स्थापित हैं। मन्दिर की वास्तुकला अनूठी है। इस मन्दिर की प्रमुख विशेषता यह है कि इसका निर्माण चुन्ना मियां नामक एक मुसलमान व्यक्ति ने करवाया था। इस रुप में यह मन्दिर हिन्दू मुस्लिम एकता की एक अद्वितीय मिसाल है।
xv )
टीबरीनाथ मन्दिर (बरेली)
टीबरी नाथ मन्दिर बरेली नगर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। इस मन्दिर की स्थापना के विषय में एक लोकोक्ति है। इसके अनुसार -- बाबा प्रमोदगिरी के शिष्य ने इस मन्दिर की स्थापना की थी । पहले यहाँ एक पीपल का पेड़ था, जिसकी जड़ से सूत निकलता था। बाबा प्रमोद गिरी ने पीपल की जड़ के पास वह नीम की टहनी गाड़ दी, जिससे उन्होंने दातून किया था । तभी से इस मन्दिर का नाम टीबरी नाथ पड़ा। वर्तमान में इस स्थान का जीर्णोद्धार किया गया है, जिसके फलस्वरुप यह स्थल अत्यन्त सुन्दर प्रतीत होता है।
xvi )
नीलकण्ठ महादेव का मन्दिर (बदायूँ
)
बदायूं जिले में स्थित इल्तुतमिश कालीन
(1202-1209 ई०) इस शिव मन्दिर का निर्माण राजा लखनपाल ने करवाया था। लखनपाल बदायूं नगर के राज अजयपाल के परिवार के सदस्य थे। इस रुप में यह मन्दिर रुहेलखण्ड क्षेत्र के प्राचीनतम मन्दिरों में एक है। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि की भव्य मेला आयोजित होता है।
|