रुहेलखण्ड |
Rohilkhand |
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होली के गीत |
त्योहारों को आधार बनाकर गीत लिखने की परम्परा हमारे देश में अत्यन्त प्राचीन है। भारतवर्ष के प्रत्येक हिस्से में प्रारम्भ से ऐसे गीतों की रचना की गयी जो विभिन्न त्योहारों के अवसर पर गाये जाते थे। रुहेलखण्ड क्षेत्र में ऐसे अनेक गीतों की रचना की गई, जिन्हें त्यौहारों के मौके पर गाया जाता है। होली के अवसर पर गाऐ जाने वाले गीतों की अपनी पृथक पहचान हैं। इन गीतों में कुछ इस प्रकार हैं--
कल कहाँ थे कन्हाई हमें रात नींद न आई
एजी तुमरी तो रैन -रैन से गुजरी,
कल थे कहाँ कन्हाई हमें रात नींद न आई,
र्तृया होली में
ला दो गुलाल मेरा जिया न माने रे,
बजानो को लादो तबला सारंगी गढ़ने को लादो किताब,
रंगने को लादो पुड़िया बसंती मलने को ला दो गुलाल,
अरी भागो री भागो री गोरी भागो,
संग लायो ढेर गुलाल,
चून कारैगो अगिया कारी
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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey
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