रुहेलखण्ड |
Rohilkhand |
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लोक नाटिकाएँ |
गीत --संगीत पर आधारित लोक नाटिकाएँ मनुष्य ने अपने मनोरंजन के लिए निमित्त विभिन्न कलाओं को जन्म दिया। ये कलाएं मनोरंजन का साधन तो थीं ही,
साथ ही इनमें से कुछ कलाओं के माध्यम से विभिन्न सामाजिक समस्याओं, संदेशों तथा सामयिक घटनाओं को भी जनमानस तक
पहुँँचाया गया। ऐसी कलाओं में अभिनय कला सर्वोच्च स्थान पर थी। अभिनय कला का गीत - संगीत से गहरा सम्बंध रहा है। भारत के लगभग हर प्रान्त में ऐसी अनेक लोकनाटिकाएं प्रचलित हैं, जो गीत - संगीत पर आधारित हैं। ऐसी लोकनाटिकाएं पूर्णतया परम्परागत है। इस प्रकार की लोक नाटिकाएं रुहेलखण्ड की लोक संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। लोक नाटिकाओं की इन स्थानीय शैलियों में "स्वांग" और "रसिया" का विशिष्ट स्थान है।
रोचक तथ्य यह है कि स्वाँग में प्राय: पुरुष स्री चरित्र को निभाते हैं। स्वाँग का ही भाँति "रसिया" प्रकार की लोक नाटिकाएँ संगीत पर आधारित हैं। समाज में व्याप्त कुरीतियाँ प्राय: इन नाटिकाओं का विषय हैं।
विभिन्न त्यौहारों के अवसर पर शाम ढले गाँवों की चौपालों पर इनका प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
इन नाटिकाओं के केन्द्रों में बिथरी चैनपुर, भोजीपुरा तथा पश्चिमी फतेहगंज के कुछ गाँव (सभी बरेली के निकट स्थित) हैं। "रसिया" के कलाकारों में निम्नखित का स्थान प्रमुख है - |
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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey
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