रुहेलखण्ड

Rohilkhand


कृषि गतिविधियाँ ( प्रमुख फसलें )

रुहेलखण्ड क्षेत्र में भी उत्तर भारत के अन्य भागों की भाँति समय- समय पर सम्बन्धित फसलें गेहूँ, धान, चना, मसूर, अरहर, मटर, मूँगफली, उर्द, तिल, जौ, अलसी,, मेंथा ( पिपरमेंट ), गन्ना तथा आलू आदि होता है, जिनका क्रमवार विवरण निम्नलिखित है -

अंगेजी महीने हिंदी महीने पैदावार होने वाली फसलें
1. फसल बोना 2. फसल काटना
सितम्बर-अक्टूबर आश्विन -------------------------- धान,बाजरा,उर्द,तिल,अरहर,सरसों आदि।
अक्टूबर- नवम्बर कार्तिक गेहूँ, जौ, चना, मटर, मसूर, अलसी तथा आलू उपरोक्त फसलें
नवम्बर- दिसम्बर आघान उपरोक्त फसलें इस माह तक बोयी जाती हैं। उपरोक्त फसलें ( आश्विन से आघान तक कटाई होती है।)
दिसम्बर- जनवरी पूस -------------------------- गन्ने की कटाई
जनवरी- फरवरी माघ गन्ना तथा मेंथा ( पिपरमेंट ) आलू
फरवरी- मार्च फाल्गुन -------------------------- आलू
मार्च- अप्रैल चैत्र -------------------------- गन्ना, चना, मटर, मसूर
अप्रैल- मई वैसाख -------------------------- गेहूँ, चना, मटर, मसूर, जौ, अलसी, मेंथा।
मई- जून जेठ -------------------------- शिवाली मेन्था पिपरमेंट
जून- जुलाई आषाढ़ धान, बाजरा, उर्द, तिल, मूँग, मूँगफली, अरहर। ------------------------
जुलाई- अगस्त सावन धान इस माह में भी बोये जाते हैं। ------------------------
अगस्त- सितम्बर भादौं सरसों ------------------------

उपरोक्त तालिका से ज्ञात होता है कि हिंदी- माह आश्विन में धान, बाजरा, उर्द, तिल, मूँगफली, अरहर, आदि फसलों की कटाई प्रारम्भ होती है, जो आघान के महीने तक चलती है तथा आघान- पूस माह तक उपरोक्त फसलें तैयार होकर घरों / गोदामों में संग्रहित कर दी जाती है। अश्विन के पश्चात् जब खेत उपरोक्त फसलों के कटने से खाली हो जाते हैं, तब कार्तिक माह से गेहूँ, जौ, मटर, चना, मसूर, अलसी तथा आलू का बोना प्रारम्भ होता है, जो आघान मास तक चलता है।

बैल द्वारा खेत जोतता कृषक

ट्रेक्टर द्वारा खेत की जुताई

गेहूँ की फसल

फसल की कटाई

फसल तैयार करते कृषक

लहलहाती सरसों

पूस के माह में गन्ने की कटाई प्रारम्भ हो जाती है, जो फाल्गुन माह तक चलती है। माघ के महीने में गन्ना तथा मेंथा ( पिपरमेंट ) बोया जाता है और इसी माह से आलू की खुदाई प्रारम्भ हो जाती है, जो फाल्गुन तक चलती है। चैत्र के मास में गेहूँ, जौ, चना, मटर, मसूर, अलसी की कटाई शुरु होती है तथा वैसाख के महीनें तक चलती है तथा वैसाख के अंत तक खेत खाली हो जाते हैं। जेठ ( ज्येष्ठ ) माह में शिवाली- मेंथा ( पिपरमेंट ) की कटाई होती है। आषाढ़ माह में धान, बाजरा, उर्द, तिल, मूँगफली, मूँग तथा अरहर आदि फसलें बोई जाती हैं। मेन्था ( पिपरमेंट ) की कटाई इस माह में भी जारी रहती है। धान की फसल आषाढ़ के अतिरिक्त सावन के महीने में भी बोई जाती है। भादौं के महीने में धान, गन्ना, बाजरा, आलू तथा मेंथा की फसलें खेतों में खड़ी होती है तथा विकसित होना प्रारम्भ हो जाती है।

इस क्षेत्र में सर्वाधिक मात्रा में की जाने वाली प्रमुख फसलें गेहूँ, धान, जौ, गन्ना, आलू, चना, सरसों तथा मूँगफली हैं। इनमें गेहूँ, धान, गन्ना तथा आलू की पैदावार सामान्य भूमि में अधिक होती है, जबकि आलू व मूँगफली नदियों के समीपवर्ती रेतीली खादर क्षेत्र की रेतीली भूमि में आलू, मूँगफली की पैदावार अपेक्षाकृत अधिक होती है।

यद्यपि वर्तमान समय में खेतों की जुताई टैक्टर द्वारा होती है, तथापि बैलौं द्वारा भी जुताई होती है।

गन्ने की पैदावार अधिक होने के कारण यहाँ शक्कर ( चीनी ) का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है तथा यहाँ से चीनी अन्य राज्यों में निर्यात की जाती है।

इस प्रकार इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि कार्य है।

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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey

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