रुहेलखण्ड |
Rohilkhand |
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कृषि गतिविधियाँ ( प्रमुख फसलें ) |
रुहेलखण्ड क्षेत्र में भी उत्तर भारत के अन्य भागों की भाँति समय- समय पर सम्बन्धित फसलें गेहूँ, धान, चना, मसूर, अरहर, मटर, मूँगफली, उर्द, तिल, जौ, अलसी,, मेंथा ( पिपरमेंट ), गन्ना तथा आलू आदि होता है, जिनका क्रमवार विवरण निम्नलिखित है -
उपरोक्त तालिका से ज्ञात होता है कि हिंदी- माह आश्विन में धान, बाजरा, उर्द, तिल, मूँगफली, अरहर, आदि फसलों की कटाई प्रारम्भ होती है, जो आघान के महीने तक चलती है तथा आघान- पूस माह तक उपरोक्त फसलें तैयार होकर घरों / गोदामों में संग्रहित कर दी जाती है। अश्विन के पश्चात् जब खेत उपरोक्त फसलों के कटने से खाली हो जाते हैं, तब कार्तिक माह से गेहूँ, जौ, मटर, चना, मसूर, अलसी तथा आलू का बोना प्रारम्भ होता है, जो आघान मास तक चलता है।
पूस के माह में गन्ने की कटाई प्रारम्भ हो जाती है, जो फाल्गुन माह तक चलती है। माघ के महीने में गन्ना तथा मेंथा ( पिपरमेंट ) बोया जाता है और इसी माह से आलू की खुदाई प्रारम्भ हो जाती है, जो फाल्गुन तक चलती है। चैत्र के मास में गेहूँ, जौ, चना, मटर, मसूर, अलसी की कटाई शुरु होती है तथा वैसाख के महीनें तक चलती है तथा वैसाख के अंत तक खेत खाली हो जाते हैं। जेठ ( ज्येष्ठ ) माह में शिवाली- मेंथा ( पिपरमेंट ) की कटाई होती है। आषाढ़ माह में धान, बाजरा, उर्द, तिल, मूँगफली, मूँग तथा अरहर आदि फसलें बोई जाती हैं।
मेन्था ( पिपरमेंट ) की कटाई इस माह में भी जारी रहती है। धान की फसल आषाढ़ के अतिरिक्त सावन के महीने में भी बोई जाती है। भादौं के महीने में धान, गन्ना, बाजरा, आलू तथा मेंथा की फसलें खेतों में खड़ी होती है तथा विकसित होना प्रारम्भ हो जाती है। यद्यपि वर्तमान
समय में खेतों की जुताई टैक्टर
द्वारा होती है, तथापि बैलौं द्वारा
भी जुताई होती है। |
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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey
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