रुहेलखण्ड

Rohilkhand


चित्रकला एवं रुहेलखण्ड के चित्रकार

चित्रकला के नवीन विकास में रुहेलखण्ड क्षेत्र के कलाकारों का विशेष महत्व है। यहाँ अनेक कुशल चित्रकार हैं। इन चित्रकारों में बरेली के डॉ. अविनाश, श्री गोपाल कृष्ण, श्री छैल बिहारी वरतरिया, श्री मनोज वर्मा, श्री सुरेंद्र बहादुर "सुमानव', श्री हरिश्चंद्र राय, बदायूँ के श्री विजयपाल सिंह आदि प्रमुख चित्रकार हैं, जिनके चित्र आज देश- विदेश की प्रसिद्ध कला- दीर्घाओं में सुशोभित हो रहे हैं।

इन चित्रकारों में डॉ. अविनाश एवं श्री हरिश्चंद्र राय के प्रसिद्ध चित्र "वटवृक्ष', "रानीखेत के खेत', "बनारस घाट की नौकायें', "पुष्पित कचनार' आदि उनके प्रतिनिधि लैण्डस्कोप है। उनके अन्य ट्ैंपरा व तैल चित्रों में "लय', "फलवाली', "गढ़वाली नृत्य', "शवयात्रा' तथा "किंरक' आदि सुंदर चित्र हैं।

यहाँ के उपरोक्त चित्रकारों के टैम्परा तथा तैल- रंगों से बने चित्रों में तूलिका स्पर्शों की लयात्मकता और ज्योमितीय आकारों का गठन दर्शनीय है। इनके चित्र भारत के नगरों- शिमला, मद्रास, लखनऊ, अलीगढ़, भोपाल, दिल्ली, जयपुर, बंबई, देहरादून के अतिरिक्त भारत से बाहर अमेरिका तथा कनाडा तक की कला- दीर्घाओं में पहुँच चुके हैं।

बरेली व बदायूँ के अतिरिक्त मुरादाबाद जिले में वाश पेंटिंग के प्रथम उन्नायक डॉ. रामपाल सिंह प्रसिद्ध चित्रकार एवं मूर्तिकार थे, जिनके अनेक शिष्य मुरादाबाद में चित्रकला को उन्नतिशील रुप मे जीवंत रखे हुए हैं।

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Content Prepared by Dr. Rajeev Pandey

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