महाकवि विद्यापति ठाकुर |
अन्यान्य विषयों पर कवि कोकिल महाकवि विद्यापति का योगदान पूनम मिश्र |
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उपरवर्णित
ग्रन्थों के अलावें अन्यान्य विषयों पर
कवि कोकिल महाकवि विद्यापति ने
निम्नलिखित चार और ग्रन्थों की
रचना की है:
(क) लिखनावली इन ग्रन्थों का भी संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है: (क) लिखनावली राजा शिवसिंह का तिरोधान होने पर जब महाकवि विद्यापति रजाबनौली में राजा पुरादित्य के आश्रय में रह रहे थे तभी उनके निर्देशन से पत्राचार करने की विघि संबंघी इस ग्रन्थ की रचना की। इसमें चार प्रकार के पत्र है:
इसमें कुल मिलाकर ४ पत्र हैं। इन पत्रों से मिथिला की तात्कालीन सामाजिक और सांस्कृतिक अवस्था का परिचय हमें मिलता है। (ख) शैवसर्वस्वसार प्रमाणभूत संग्रह इस ग्रन्थ अर्थात् शैवसर्वस्वसार प्रमाणभूत संग्रह की रचना शैवसर्वस्वार के बाद हुऊ। इसमें शैवसर्वस्वसार के प्रमाणभूत पौराणिक वचनों का संग्रह है। इसमें विभिन्न प्रमाणभूत पौराणिक वचनों का संग्रह किया गया है। (ग) व्याडिभक्तितरंगिणी इस लघुग्रन्थ में सर्पिणी की पूजा का वर्णन है। सर्पों की देवी मनसादेवी, जौ कि भगवान शंकर की मानसपुत्री मानी जाती है, की पौराणिक कथा का इसमें उल्लेख है। (घ) द्वेैतनिर्णय द्वेैतनिर्णय ग्रन्थ इस बात की साक्षी है कि महाकवि विद्यापति ठाकुर को अन्य सभी विषयों के साथ-साथ तन्त्र का भी विशद ज्ञान था। यह एक तन्त्रशास्रीय लघु ग्रन्थ है, जिसमें तंत्र-शास्र की अनेक बारिकियों की गुप्त चर्चा है।
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