हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 69


IV/ A-2071

हिन्दी भवन

  शान्तिनिकेतन

15.4.45

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम

       इतना समीप आकर भी आप इधर नहीं आ सके, इसका मुझे बड़ा खेद है। मैं भी दर्शन करने वहाँ नहीं जा सका। यही सोचता रहा कि आप यहाँ आ रहे हैं। अब तो सिर्फ अफ़सोस ही हाथ रह गया। मुंशीजी का अनुवाद मिल गया है। आपने जिस प्रकार की सामग्री संग्रह करने की आज्ञा दी है, वैसी सामग्री संग्रह करके भेज दूँगा । लगभग दस दिन बाद यह सामग्री आप तक पहुँच जायेगी। इस बीच मैं एक और काम से निबट लूँगा। काशी जा रहा हूँ। २२-२१ को परिषद् को उत्सव में योग देना है। उसके बाद ही आपके पास सामग्री भेज सकूँगा। कोशिश कर रहा हूँ कि शीघ्र ही १००/- रुपये मुंशीजी के परिवार की सहायता के आपके पास भिजवा दूँ।

       आशा है, आप सानंद हैं। हम लोग कुशलपूर्वक हैं।

आपका

हजारी प्रसाद द्विवेदी

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली