छत्तीसगढ़

Chhattisgarh


फसल एवं त्योहार

बैसाख अक्ती इसी दिन से नई फसल वर्ष की शुरुआत होती है। बीज की तैयारी की जाती है। बीज निकालना और एक-दूसरे को बीज आदान-प्रदान करना।
जेठ आ गया जेठ। इस महीने में खेत की सफाई की जाती है। उसके बाद धान बोवाई की जाती है।
आषाढ़-सावन हरेली का त्योहार - अन्न गर्भ पूजा के रुप में मानते हैं। छत्तीसगढ़ में इस त्योहार में मिट्टी के बैल बनाए जाते हैं तथा उनकी पूजा की जाती है।
सावन-भादो पोला - इस त्योहार को भी अन्न गर्भ पूजा के रुप में मनाते हैं। मिट्टी के बैलों को पूजा चढ़ाते हैं।

कुवार नवा खाई - इस महीने में नई फसल की कटाई की जाती है। नए अन्न की पूजा की जाता है। और उसके बाद ही उसेखाया जाता है। इसीलिये इसे कहते हैं, "नवा खाई"। 
कार्तिक गौरा गौरी
अगहन जेठौनी - धान की मिंजाई करते हैं इस महीने में। गाँव के सभी लोग घर से धान की बाली लाते हैं और गाँव के देवता को चढ़ाते हैं। इसके बाद ही मिंजाई आरम्भ करते हैं।

                                        

पूष-माघ छेर छेरा - धान की मिंजाई खत्म होने के बाद गाँव के बच्चे घर-घर जाते हैं और छेर छेरा गीत गा-गाकर अनाज बीज मांग कर इकट्ठे करते हैं। कटाई होती है उतेरा फसल की।
माघ-फागुन होली - होली का त्योहार मनाते हैं। उतेरा फसल मिंजाई करते हैं।
चैत चैतरई - इस वक्त खेत की मरम्मत करते हैं। मेढ़ बनाने का कार्य करते हैं।

 

 | विषय सूची |


Content Prepared by Ms. Indira Mukherjee 

Copyright IGNCA© 2004

सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय है।