देवनारायण फड़ परम्परा Devnarayan Phad Tradition बगड़ावतों और रावजी का युद्ध दीपकंवर का युद्ध में काम आना चौथा हमला रावजी रायला पर करते हैं जहां सवाई भोज की बेटी दीपकंवर बाई रावजी की सेना में मारकाट मचा देती है। दीपकंवर बाई मर्दाना वेष कवच धारण कर रावजी की सेना से घोर संग्राम करती है और उनकी काफी सारी सेनाओं को अपनी तलवार से काट डालती है। अन्त में वह दियाजी और कालूमीर से युद्ध करते हुए मारी जाती है। जिसका सिर काट कर भवानी (जयमती) ने अपनी मुण्ड माला में धारण किया था। बगड़ावतों के बड़े भाई तेजाजी को जब दीपकंवर की मौत का पता चलता है तो वह भी युद्ध में आ जाते हैं और अपने घोड़े को रावजी की फौज के सामने खड़ा कर देते हैं और दीयाजी और कालूमीर की फौज काट देते हैं। तेजाजी सात-सात कोस तक रावजी की फौज को काट डालते हैं और अपना भाला रावजी पर फेंकते हैं पर उस भाले के वार से भवानी रावजी को बचा लेती है ।
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