देवनारायण फड़ परम्परा Devnarayan Phad Tradition पाँचों भाईयों की फौज और रावजी से बदला रानी सांखली और देवनारायण की गायें
कपूरी
धोबन रानी को अपने साथ लेकर गुदलिया
पर आती है। वहां एक पेड़ के नीचे रानी
जी को धूप-दीप लगाने को कहती है।
पेड़ पर छिपा बैठा गेद्यां धोबी
सारी बात देख रहा होता है। रानी
सांखली भैरुजी का ध्यान करती है और
धूप-दीप लगाती है। अचानक पेड़ पर बैठा
गेद्यां धोबी पेड़ से गिर जाता
है और सीधा रानी की गोद में जा पड़ता
है। रानी सोचती है भैरुजी ने मेरी
सुनली और बेटा भेजा दिया है। उधर
से देव के ग्वाले गायों को चराते
हुए आते हैं। ग्वालों को देखकर कपूरी
धोबन एक झाड़ी के नीचे छुप जाती है।
एक ग्वाला झाड़ी के पीछे जाकर देखता
है कपूरी धोबन छिपी हुई है। उस
बाहर निकलने को कहता है। कपूरी
धोबन कहती है अरे ग्वालों ये रानी
यहां भैरुजी को पूजने आयी हैं और
सवामण पापड़ी और सवामण पुवां
चढ़ाने आयी है वो सब मिल कर खाओ
मुझे छोड़ दो।
रानी की बात सुनकर नापाजी रानी को कीचड़ से बाहर निकाल कर उसे गाड़ी में बैठा कर गाड़ी को हांक कर छोड़ देते हैं।
रानी वहां से सीधे अपने महल में आकर रावजी से ग्वालों की शिकायत करती है। रावजी गुस्से में आकर अपनी सेना के साथ दियाजी और मीरजी को भेजते हैं और ग्वालों को मारकर देव की गायों को घेर कर लाने का हुक्म देते हैं।
|
||
पिछला पृष्ठ :: अनुक्रम :: अगला पृष्ठ |
|