हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 12


IV/ A-2010

शान्तिनिकेतन

दिनांक 20.4.36

श्रध्देय चतुर्वेदी जी,

        कृपा-पत्र मिला गया था। हरि बाबू के स्केच के संबंध में लेखादि संग्रह करके मैं दो-एक दिन में भेज दूँगा। अब आप ही अच्छा लिख सकेंगे। मैं इस बारे में एकदम सहमत हूँ।

  महिला अंक में हैवलक एलिस का फेमिली नामक प्रबंध ज़रुर अनुवाद करके दीजिये। इसमें इस विषय में संसार के सर्वश्रेष्ठ मनीषी का सभी समस्याओं का बड़ा सुन्दर विवेचन होगा। यह लेख जरा छोटा ज़रुर है पर बहुत उपयोगी है। सन्तति नियमन के संबंध में दोनों पक्ष की पूरी-पूरी दलीलें संयत भाषा में नितान्त आवश्यक हैं।

       हमारे पुस्तकालय में इस विषय की जो पुस्तकें हैं, उसे बृहस्पतिवार को निकालूँगा। प्रभात बाबू से सलाह ले रहा हूँ। आप प्राचीन इतिहास देना चहाते हैं। गुरुदेव की सबसे नई कविता पुस्तक विचित्रा में आधुनिका नामक एक कविता है। यह अपराजिता देवी नामक एक आधुनिका देवी की अभियोगों के उत्तर में पत्र लिखी गई थी। मज़े की है। दे सकते हैं।

श्री जैनेन्द्र कुमार जी आप ही के यहाँ ठहरे हैं! न उन्हें मेरा प्रणाम कहिये। बड़ी इच्छा थी कि उनसे मिलूँ। पर विवश हूँ। हिन्दी समाज व्याख्यानमाला के संबंध में उन्हें पूरी सूचना दे दें। विशाल भारत के राष्ट्रीय अंक में अपनी पट्टी साफ कीजिये। आपकी टिप्पणी बहुत अच्छी है। एक ही अंक में क्रोपाटकिन और शास्री जी के बारे में लिख आपने यह सिद्ध किया है कि आपकी दृष्टि में मनुष्यता सबसे बड़ी चीज है, कोई

वाद नहीं। शास्री जी वाले लेख में आपने उनके कोमल हृदय का बड़ा सुन्दर चित्रण किया है। वर्मा जी का जवाहरलाल का स्केच खूब है। राष्ट्रीय अंक में अभी लेख पठनीय हैं। यह अंक बहुत सफल हुआ है। सम्पूर्णानंद जी का लेख बड़ा सुन्दर हुआ है। पर जो चीज़ मुझे सबसे अधिक रुची है, वह है नवीन जी की कमला देवी संबंधी कविता। यह दिल को हिला देने वाली कविता है। नवीन जी को इसके लिये बधाई दी जानी चाहिए।

आपका

हजारी प्रसाद

20.4.36

       आश्रम अब जुलाई में ही खुलेगा। चेचक का प्रकोप अब एकदम शान्त हो गया है। गुरुदेव यहीं है। उनकी दौहित्री का २५ को विवाह है। अज्ञेय जी या जैनेन्द्र जी इधर आना चाहते हैं तो आ भी सकते हैं।


1 . हरि बाबू- चित्रकार    2 . प्रभात कुमार मुखोपाध्याय-लाइब्रेरियन   3 . श्री बालकृष्ण शर्मा नवीन  

पिछला पत्र   ::  अनुक्रम   ::  अगला पत्र


© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय है ।

प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली