हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 16


IV/ A-2014

हिन्दी समाज

शान्तिनिकेतन

6.8.36

पूज्य पंडित जी,

              प्रणाम!

       कृपा-पत्र अभी मिला। मैंने आपको फिरोजाबाद के पते से पत्र लिखा था। वह नहीं मिला क्या? यह सुन कर बड़ी खुशी हुई कि श्री रामनारायण जी की तबीयत अच्छी है। मगर उनकी नौकरी छुटने का समाचार उद्वेगजनक है। ऐसा क्यों हुआ? जैनेन्द्र कुमार जी और अज्ञेय जी ८ अगस्त को आ रहे हैं। अब देरी नहीं है। आप ज़रुर आइये आपके आने मे जो यात्रा का व्यय होगा, उसके लिये बिलकुल चिन्ता न कीजिये। हम लोग उसकी व्यवस्था कर लेंगे। और सब कुशल है। आजकल काम बेतरह बढ़ रहा है। इसीलिये अब तक कुछ लिख न सका। गुरुदेव की कविता का अनुवाद भेजूँगा। और सब कुशल है। वर्मा जी और जैन जी और पांडे जी को प्रणाम। आपकी अनुपस्थिति में हम लोगों को कोई कष्ट नहीं हुआ। बड़े आनन्द से रहे। अबकी बार पं. दुर्गा प्रसाद जी को सुराही हाथ लगी थी (सुरा-ही!)

आपका

हजारी प्रसाद

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली