हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 47


IV/ A-2046

अभिनव भारती ग्रन्थमाला

संपादक-

हजारी प्रसाद द्विवेदी

शान्तिनिकेतनम्

बोलपुर E.I. Ry.

9.8.1941

परम श्रध्देय पंडित जी,

सादर प्रणाम!

       बहुत दिनों के बाद पत्र लिख रहा हूँ। बीच में आँखे फिर खराब हो गई थीं और पढ़ना-लिखना बंद कर देना पड़ा था। अब ठीक हो रही हैं।

       समाचार तो आपको मिल ही गया होगा। गुरुदेव अब नहीं रहे। एक ही दिन में आश्रम की श्री आधी से अधिक नष्ट हो गई है। वह सहृदयतापूर्ण बातें, स्नेहमय परिहास, सदा काम करने को उत्तेजित करने वाला उपदेश, उत्साह संचारी व्यक्तित्व अब केवल स्मरण की वस्तु रह गये। आश्रम अब सब तरह से अनाथ हो गया है।

       आज शनिवार है। १५-१६ दिन पहले हमने उन्हें वहाँ से विदा किया था। हम लोग कतार बाँध कर खड़े थे और वे सबकी ओर गंभीर पीड़ा के भीतर से भी प्रसन्न मुद्रा से देखते हुए चले जा रहे थे। कल हमने उसी प्रकार कतारें बाँध कर उनके चिता-भ का स्वागत किया। आश्रम इस प्रकार हतश्री कभी नहीं हुआ था।

       बहुत दिनों से आपका कोई समाचार नहीं मिला। आप स्वस्थ तो हैं वहाँ के सभी मित्रों से मेरा प्रणाम कहें।

       आपने लिखा था कि आपके पास कबीर संबंधी कुछ सामग्री है। वह मेरे काम आ सकती हो तो मैं देखना चाहता हूँ।

       और सब कुशल है।

आपका

हजारी प्रसाद  

पिछला पत्र   ::  अनुक्रम   ::  अगला पत्र


© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय है ।

प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली