हजारीप्रसाद
द्विवेदी के पत्र |
प्रथम खंड |
संख्या - 130
|
|
IV/
A-2127
पंजाब
विश्वविद्यालय
चण्डीगढ़
10.5.67
आदरणीय
पंडित जी,
प्रणाम!
५.५.६७
का कृपापत्र
मिला। यह
जानकर प्रसन्नता
हुई कि मेरे
सुझावों से
कुछ बात बन
जाने की संभावना
है। यह जानकर
थोड़ी चिन्ता
भी हुई कि
आपकी प्रोस्ट्रेट
ग्रंथियों की
तकलीफ बढ़
गई है। इसका
तो आपरेशन
ही करना चाहिये-लेकिन
अस्पताल अच्छा होना
चाहिये। अभी
आपको कहीं
अन्यत्र जाने की
टिकट कटाने
की अनुमति नहीं
दी जायेगी।
टिकट देने का
पूरा हक दो
वेद पढ़ने वालों
ने रीज़र्व
कर रखा है।
इस विषय
में चार वेद
वालों को
कुछ भी बोलने
का अधिकार नहीं
है - यह याद
रखिये। आशा
है इस पत्र के
पाने तक आपके
स्वास्थ्य में
अवश्य सुधार
हो जायेगा।
आपका
हजारी प्रसाद
द्विवेदी
पुनश्चः
ंM?* कभी
दर्शन करने
फीरोज़ाबाद
आ उस समय
आपको पूर्ण
स्वस्थ देखने
की इच्छा है।
|
|
© इंदिरा
गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला
संस्करण: १९९४
सभी स्वत्व सुरक्षित । इस प्रकाशन
का कोई भी अंश प्रकाशक की लिखित अनुमति
के बिना पुनर्मुद्रित करना वर्जनीय
है ।
प्रकाशक
: इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला
केन्द्र, नई दिल्ली एव
राजकमल
प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली