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छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच सामान्य जन का मसीहा "कबीर' |
परिशिष्ट छत्तीसगढ़ की बोलियां... १
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१. |
केन्द्रीय छत्तीसगढ़ी - कवर्धाई, काँकेरी, खैरागढ़ी, गोरो, गौरिया, केन्द्र क्षेत्रीय छत्तीसगढ़ी, डंगचगहा, देवार-बोली, धमदी, नाँदगाही, पारधी, बहेलिया, बिलासपुरी, बैगानी, रतनपुरी, रायपुरी, शिकारी, सतनामी।
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२. |
पश्चिमी छत्तीसगढ़ी - (बुंदेली और मराठी के तत्वों से संवलित) कमारी, खलटाही, पनकी, मरारी
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३. |
उत्तरी छत्तीसगढ़ी - (बघेली, भोजपुरी और उरांव के तत्वों से संवलित) पंडो, सदरी, कोरबा, जशपुरी, सरगुजिया, नागवंशी।
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४. |
पूर्वी छत्तीसगढ़ी - (उड़िया के तत्वों से संवलित) कलंगा, कलंजिया, बिंझवारी, भूलिया, लरिया।
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५. |
दक्षिणी छत्तीसगढ़ी - (पश्चिमी से मराठी, पूर्व से उड़िया और दक्षिण से गोंड़ी के तत्वों से संवलित) - अदकुरी, चंदारी, जोगी, धाकड़, नाहरी, बस्तरी, महरी, मिरगानी, हलवी।
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पत्रिका : जनमत स्वर : अप्रेल द्वितीय : पृष्ठ : ३५ |
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