मगध

मगध क्षेत्र की दर्जीगिरी

पूनम मिश्र


कपड़ा सिलना एक पारंपरिक कला, व्यवसाय एवं उद्योग है। इस कला का आदान-प्रदान पूर्णत: पारंपरिक है। मगध क्षेत्र में भी पुराने जमाने से यह परंपरा चलती आ रही है और दर्जीगिरी के क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव होते रहे हैं। लोक विद्याओं के संदर्भ में मगध क्षेत्र की दर्जीगिरी के बारे में गहरी और यथार्थ जानकारी हेतु गया शहर के नामी एवं पुराने दर्जी "सोनू मास्टर' से हुई चर्चा प्रस्तुत है।

सोनू मास्टर, गांव मनकोसी, पो. मोराटाल (बोध गया) के निवासी हैं। इनका यह पारंपरिक व्यवसाय है। इनके अब्बाजान (मरहूम) लियाकत मियां भी पेशेवर दर्जी रहे थे। सोनू मास्टर की उम्र फिलहाल ६०-७० वर्ष की है। ये पुस्तैनी दर्जी हैं इसलिए दर्जीगिरी के बारे में काफी कुछ बताते हैं। इनका कहना है पहले सिद्दिकी लोगों का यह पुस्तैनी धंधा था, पर अब जुलाहे भी दर्जी हो गये हैं और नये हिन्दू लड़के भी इस व्यवसाय से जुड़ गये हैं। गया शहर में दर्जियों की कुल आबादी का अनुमान ६ हजार बताते हुए वे बताते हैं कि ५ हजार एक नंबर के दर्जी हैं और बाकि १ हजार दो नंबर के। अर्थात ५ हजार आबादी पुस्तैनी दर्जियों की है और बाकि १ हजार नौ सिखुआ दूसरी जाति वालों की है। समय के साथ मजदूरी की तुलना करते हुए ये बताते हैं कि सन् ६० में कुर्ते की सिलाई डेढ़ रुपये थी और आज ४० रुपये हैं। जमींदारी जमाने में भी दर्जी का पेशा खुशहाल पेशा था और कपड़ा सिलने का अभाव नहीं था। घर में औरतें सब भी कपड़ा सिलती थईं। अब रेड़ीमेड जमाना आ जाने से काफी कमी आई है। पहले ये लोग बिजली विभाग व डिस्ट्रिक्ट बोर्ड वालों की वर्दी सिलने का ठेका लिया करते थे, पर अब वैसा नहीं हो पा रहा है।

रेडीमेड उद्योग संबंधी चर्चा के दौरान वे यह बताते हैं -

१. गया के मुस्लिम मुहल्लों की महिलाएं लखनऊआ टोपी सीने का आज भी काम करती हैं। यह हाथ से कढ़ाई के द्वारा होता है। ऐसी टोपियां कलकत्ता, बॉम्बे सप्लाई होती हैं और वहीं पर इसकी कारीगरी पूरी करके बेचा जाता है। गया की महिलाओं को बारह रुपये कोरी के हिसाब से टोपी सिलाई मिलती है।
२. गनी मार्केट, गया में रेडीमेड आधुनिक मैक्सी उद्योग था। किसी मारवाडी के द्वारा उद्योग का संचालन होता था। परंतु अब यह उद्योग बंद हो गया है।
३. अब बाकि सिद्दिकी जाति के लोग अगरबत्ती उद्योग में लगे हैं।

पुस्तैनी दर्जियों का एक अपना संगठन पहले चलता था के खासकर दहेज एवं बिरादरी मामलों में यह संगठन काम करता था। पर अब धोखाधड़ी होने के कारण यह संगठन खत्म हो गया है। गया सदर में माकूब मियां (मरहूम), हबीब मिला, पांचू मियां आदि इस संगठन के संस्थापक एवं संचालक थे। दस बारह से "इदरीसिया पंचायत' नामक दर्जियों का संगठन काम नहीं कर रहा है।

उपरोक्त सूचनाएं बताने वाले सोनू मास्टर की खासियत यह है कि मगध क्षेत्र के नेताओं के पहनावें के बारे में सब कुछ जवानी ख्याल रखते हैं। ये तमाम नेताओं की तोन्द के व्यास की माप लिखते नहीं क्योंकि सब साईज इन्हें याद हैं। कपड़े की किस कि का कुर्ता कौन नेता पहनता है, यह पूछने पर सोनू मास्टन बताते हैं - धीरेन्द्र अग्रवाल खादी का कुर्ता पहनते हैं। भरोसा राय भी खादी ही पहनते थे और गया के विधायक डॉ. यादवेन्द्र भी खादी पहनते हैं। दया प्रकाश जी और सुरेन्द्र यादव खादी और सूती दोनों का कुर्ता पहनते हैं।

 

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