१.
बुरु सोङ्ग सोङ्ग ते दो
होयो चिग सरजोम् बा
नर जोड़ेन् ते दो
रम्पि चिग कुड़ सङ्गेन्
दोल तिबु लेल लेअ
होयो चिग सरजोम् बा
मेरे तिबु चिन लेअ
रम्पि चिग सुड़ सङ्गेन्
अले दोले लेल लेद
होया गेग सरजोम् बा
अल दोले चिन लेद
रम्पि गेग सुड़ सङ्गेन्
पहाड़ की घाटियों में
हवा बह रही है या साखू झड़ हा
है।
ढलवानो के जाड़े पर
आँधी चल रही है या पत्तियाँ
खड़कड़ा रही है।
चलो ते देख आवें,
हवा है या साखू का फूल?
चलो तो देख आवें,
आँधी है या पत्तियों का खड़खड़ाना।
हमने तो देखा
(कि) हवा ही है, जिसमें साखू झड़
रहा है।
हमने तो पहचाना
(कि) आँधी ही है, जिसमें पत्तियाँ
खड़कढ़ा रही है।
२.
हेस: सुब लेसे लेसे
अमे चिमइ तिङ्गु केन
बड़े सुब: जिरपि जलङ्
अमे चिमइ जप: केन
अञ्गे चोअ तिङ्गु केन
तीरे मुन्दम् उयु: जन
अञ्गे चोअ जप: केन
जङ्गरे पोला होसोरजन
नेक नेक सेण तेम
तीरे मुन्दमेम् चटतन
नेक नेक बुहि तेम
जङ्गरे पोलम् सुब तन
पीपल की हिलती छाया में
हे लड़की, क्या तुम्ही खड़ी थी?
बहकद की चमकीली छाँह में
हे लड़की, क्या तुम्हीं उठँगी थी?
हाँ, मैं ही (खड़ी) थी,
हाथ की अँगूठी गिर गई।
हाँ, मैं ही उठँगी थी,
पैर की अँगूठी फिसल गई।
ऐसी बद्धिमती हो
कि हाथ की अँगूठी का बहाना बना
रही हो।
ऐसी समझदार हो
कि पैर की अँगूठी का बहाना बना
रही हो।
३.
ड लङ् दो ड लङ् दो
नौनगर डड़ि लङ्
चुअँ लङ् दो चुअँ लङ् दो
रतनपुरे चुअँ लङ्
ओकोए मइन गेले लेद
नौनगर डड़ि लङ् दो
चिमए मइन सोड़ लेद
रतनपुरे चुअँ लङ्
दिरि लेक कुङ्म् तिअ
इनि: मइन गले: लेद
पङ्ङ्ग लेक सुपु तिअ
इनि: मनइरे सोड़ लेद
हेलो गेअ पोण्डे गेअ
नौनगर डड़ि लङ् जो
लोसोद् गेअ गोदेद् गए
रतनपुरे चुअँ लङ्
हम लोगो की डॉडी (नहर),
नवनगर की डॉडी।
हम लोगों का चुँवा (सातो)
रतनपुर का चुँवा।
हम लोगों के नवनगर की डॉडी
को
हे बेटी, किसन खोदा है।
हम लोगों के रतनपुर के चुँवे
को
हे बेटी, किसने काडो है?
हे बेटी, पत्थर के सामने
छातीवाले
(किसी) आदमी ने खोदा है।
हे बेटी, मोटी डाल के समान
बाँहवाले
(किसी आदमी) ने काडो है।
हिलको दी गई और गँदली हो
गई,
नवनगर की डॉडी।
कीचड़ से भर गया, सेंवार से भर
गया
रतनपुर का चुँवा।
४.
पिड़ि पिड़ि
पिड़ि मेरेलि दो
गड़ गड़
गड़ कुदाले
ओकोएगे रोअ लेद
पिड़ि मेरलि
चिमएगे पोओ लेद
गड़ कुदलि
दसि कोड़ लोअ लेद
पिड़ि मेरलि
चिमएगे पोअ लेद
गड़ कुदलि
प्रत्येक टाड़ में
आँवला है
और प्रत्येक नदी में
जामुन है।
टाड़ के आँवला को
किसने रोपा था?
नदी को जामुन को
किसने लगाया था?
धाँगर लड़के ने रोपा था
टाड़ के आँवले को।
धँगरिन स्री ने लगाया था
नदी के जामुन को।