१.
सिरि जटि ओड़: रेम गतिञ्
पट: गोड़ रोसोम् रे
बालेकम् डडु लेन गतिञ्
डलि लेकम् पयर् लेन्
बा लकम् उड़ु़ङ् लेन गतिञ्
बा लेकम् गोसो जन्
डलि लेकम् पयर् लेन गतिञ्
डाली लोकाम मएल जन्
ओते लोलो तेचि गतिञ
सिरिम सितुम ते
बा लेकम् गोसो जन गातिञ्
डलि लेकम् मएल जन्
ओते लोलो तेओ कगे
सिरिम सितुम् तेओ क
सोमए सेनो: तन गतिञ्
ओसड़ बिरिद् तन्
हे प्रिये, तुम झाड़ी से घिरे हुए
घर में हो,
हे प्रिये, तुम पटरी से बंद किये
हुए घर में हो।
हे प्रिये, तुम फूल के समान
निकली,
तुम फूल के समान विकसी।
हे प्रिये, तुम फूल के समान
खिली
और फूल के ही समान मुरझा गई।
हे प्रिये, तुम फूल के समान
विकसी
और फूल के ही समान सूख गई।
हे प्रिये, तुम जमीन की गरमी से
या आकाश की ठण्ड से
फूल के समान मुरझा गई,
फूल के समान सूख गई।
जमीन की गरमी से नहीं
आकाश की ठण्ड से भी नहीं,
हे प्रिये, समय बीत गया (इसलिए
मुरझा गई)
हे प्रिये, जवानी चली गई (इसलिए
कुम्हला गई)।
२.
द: पिसिर पिसिर
गम जड़म् जड़म्
कुडुम्ब बरु रे द: दो
मइल बुरु दनङ् रे
चिबु चिकएअ द: दो
मरे बु रिकएअ गम दो
कुडुम्ब बुरु रे द: दोमइल्
बुरु दनङ् रे
चउलि चपि तेद: दो
तबेन् लुम्ते गम दो
कुङुम्ब बुरु रे द: दो
मइल् बुरु दनङ् रे
फिस-फिस पानी फिसफिसा रहा है,
झम-झम वर्षा झम-झमा रही है।
कुडुम्बा पहाड़ पर पानी फिसफिसा
रहा है,
माइल पहाड़ के पीछे वर्षा झमझमा
रही है।
(फिस-फिस) पानी से हम क्या करें?
(झम-झम) वर्षा से हम क्या करें?
कुडुम्बा पहाड़ पर पानी फिसफिसा
रहा है,
माइल पहाड़ के पीछे वर्षा झमझमा
रही है।
हम उस पानी से चावल धोयेंगे
हम उस वर्षा से चिउड़ा फुलायेंगे।
कुङुम्बा पहाड़ पर, पानी फिसफिस
रहा है
माइल पहाड़ के पीछे वर्षा झमझमा
रही है।
३.
नी चिउ को
गोरोणेअ हो
नी चिअ को
सुड़िअम्
इच: बारे
गोरोणेअ हो
मुरुद् बारे
कुड़िअम्
इच: बागे:
जोमे तन हो
मुरुद् या गे:
हबे तन्
क्या इसी (पक्षी) को
गौरेया कहते हैं?
क्या इसी (पक्षी) को
सुडियम कहे हैं?
इच: फूल में रहता है
(यह) गौरेया पक्षी।
पलाश फूल में रहता है
(यह) सुड़ियम पक्षी
इच: फूल (का रस) ही
यह चूसता है।
पलाश फूल (का रस) ही
यह लेता है।
४.
सेरेङ् जप: ओते दोरे दद
अलो ददम् बन्दरेअ
मेयोद् गेअए: सिउ: केड़ दद
अलो ददम् कुन्दरिअ
रिणि अलङ् कड़ी अलङ् दद
अलो ददम बन्दरेअ
पैचाए अलङ् उधारे अलङ् दद
अलो ददम कुन्दरिअ
मोदे बित लाइ: नतिन् दद
अलो ददम् बन्दिरअ
चपु सुनुम् मोच नतिन् दद
अलो ददम् कुन्दरिअ
हे दादा, चट्टान के निकट की
जमीन
हे दादा, बन्धक मत रखो।
हे दादा, ओतने के लिए एक ही काड़ा
है,
उसे मत दे दो।
हे दादा, हम ॠण माँग लेंगे,
पर बन्धक नहीं धरेंगे।
हे दादा, हम पैंचा लेंगे, उधार
लेंगे,
पर उसे नहीं देंगे।
हे दादा, वित्ते-भर पेट के लिए,
हे दादा, उस बन्धक मत रखो।
हे दादा, मुट्ठे-भर मुँह के लिए
हे दादा, उसे दे मत दो।
५.
होड़ो तेदोए: लेलो तन
रिम्बिल लेकाए: लेलो: तन
तीन बङ्गए: तिङ्गुअकन
इनि: लो:ते जीगे लो तन
तिकिन् सिंगि तइ केन
अङ् जन्तेञ् लेल् बेड़इ
नियिन् सन्ते कए ले: लोग
ओकोतिअ अंसी धारी
प्रिय के कहने से
बक-बक करके बात करती हो।
प्रिय के कहने से
मुसका-मुसकाकर बात करती हो।
हे बकवास करनेवाली,
तुम्हारी साथी की बात तो
दवा के समान जान पड़ती है।
हे मुसकरानेवाली, तुम्हारे
संगी की बात तो
जान डालने-जैसी लगती है।
६.
जोजो को जुम्बुलाए रे
हो
उलि को अम्बस्ए रे
डुलकि दुमङ् बिनु सड़ि लेन हो
मेतम् मोपिन को सुसुन् तन्
दोल तेबु लेले अगुअ
दोल तेबु चिन अगुअ
डुलकि दुमङ् बिनु सड़िलेन् हो
मेतम् गोपिन् को सुसुन् तन्
अले दोले लेतन केन हो
अले दोले चिन केन
डुलकि दुमङ् सड़ि लेन हो
मेतम् गोपिन् को सुसुन् तन्
इमली की झाड़ियों में
और आम के झुरमुटों में
ढोलक, माँदर और वेणु बज रहे
हैं।
हे मित्र, गोपियाँ नाच रही हैं।
चलो देख आवें।
चलो, देखने चलें।
ढोलक, माँदर और वेणु बज रहे
हैं,
और गोपियाँ नाच रही हैं।
हम तो देख आये,
हम तो देख आये।
(जो) ढोलक, माँदर और वेणु बज
रहे हैं,
और गोपियाँ नाच रही हैं।
हम तो देख आये,
हम तो देख आये।
(जो) ढोलक, माँदर और वेणु बज
रहे हैं,
(और जो) गोपियाँ नाच रही हैं।
७.
बुरु चेतन चितिरि किङ्
हो
नर लतर् असकगल् किङ्
चिअ चितिरि कम् हङ्गुन हो
चिअ असकल् कम् होसोरेन्
गतिम् दो अड़न्दिन् तनरे
सङ्गम् दोए कोणन्दिन् तन्
इच बागे पैरड़ेद् हो तना
मुरुद् बागे नर सिंगा त्न्
डुग मगु चौडल् ते हो
गतिम दो ए: अणन्दिन् तन्
गाजा बाजा बजुणिअ ते हो
सङ्गम् दोए: कोणन्दिन् तन्
पहाड़ के ऊपर दो तीतर
हैं,
ढाल के नीचे दो आसाकल हैं।
हे तीतर! क्यों नीचे उतरते?
हे आसाकल, तुम क्यों नहीं आते?
तुम्हारे प्रिय की शादी
हो रही है,
तुम्हारे संगी का विवाह हो रहा
है।
इछ: फूल की भेरी बज रही है,
और पलास-फूल का सिंगा बज रहा
है।
डगमग चणडूल (एक डोली)
पर
तुम्हारे संगी की शादी हो रही
है।
गाजा-बाज बजाकर
तुम्हारे संगी का विवाह हो रहा
है।