राजस्थान |
कुछ मुल राजस्थानी (मेवाडी) शब्दावलियाँ राहुल तनेगारिया |
अडाणी |
लम्बा डंडा लगा हुआ एक वृत्ताकार वस्तु जिसे जुलुस में ले जाया जाता है। यह पंखो को दबाव देकर बनाया जाता है। इसके केन्द्र में उगता हुआ सुरज बना होता है तथा राज्य के अधिकार - चिन्ह (तगमा) की तरह प्रयुक्त होता है। |
अधड़ |
एक घेरा जिसके मध्य में दोनो मजबूत दीवार बनी हो । दोनो तरफ से हाथी लड़ सके लेकिन कुद कर पार न कर सके। |
अखै तीज |
तीज (पर्व) |
वैली |
दो बैलों (बधियाँ किये गये) द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी |
बायाँ |
नौकरानी |
भालें |
भाला |
बग्गी |
अग्रेजों के समय जैसी बनी गाड़ी जिसे घोड़े खिंचते है। |
चांदणी |
पोसेलीन टाइल्स का बना चबुतरा |
चेवर |
हवा में डुलाने वाला चँवर |
छवदार |
कुलीन लोगों की पगड़ी बाँधने वाले पेशेवर |
छड़ीदार |
डंडा पकड़ने वाला, एक प्रकार से व्यक्तिगत नौकर |
छत |
कपडे का घिरा हुआ हिस्सा, शामियानें का एक हिस्सा |
चौगान |
अखाड़ा जो दीवारों से घिरा है तथा दरवाजे बने हो। इसमें जानवर लड़ाई करते है तथा दुसरे विधि-विधान भी सम्पन्न होते है। |
दाई |
औरत जो महिला कक्ष में काम करनेवाली हो। |
दरोगणी |
महिला - घेरेबंदी का देखमाल करनेवाली। |
धाय |
वैसी औरत जिसने राजसी बच्चे को अपना दुध पिलाया हो। |
धायमाइ |
सेवा करने वाली (घाय) का पुरुष |
ढ़ीकरी का शिकार |
लकड़ी के धेराव के मध्य एक उदग्र स्तम्भ जो एक आलम्ब की सहायता से एक क्षैतिज स्तम्भ से जुड़ा होता है। अन्दर का हिस्सा किसी वजनदार वस्तु से जुड़ा हो जबकि बाहर वाला भाग जो जमीन से सटा हो उसमें फदे तथा चारें की एक साथ व्यवस्था होती है। जब शिकार चारे को प्राप्त करने की कोशिश करता है, फंदा उसके गले में लग जाता है। वह फंदे में लटककर मर जाता है। |
ढ़ीकडया |
नौकर जो राणा के पैरों की मालिश करता हैं। |
डयोडिया दरोगा |
मुख्य दरवाजे का संरक्षक |
फरास |
लड़का, जो नीचे तबके का नौकर हो |
गजगाँव |
काले या सफेद रंग का बड़ा पंरवो वाला गुच्छा जो घोड़ की जीन के पीछे लटकता है। |
हेलूग्राफ |
दो या दो से अधिक दपंणों की सहायता से बना एक प्रकार का शिकार के लिए प्रयुक्त होने वाला यंत्र। इसका इस्तेमाल सूर्य के प्रकाश में जंगल के अन्दर परावर्त्तन द्वारा सिंग्नल देना, शिकारियों के दूसरे झुंड के साद सम्पर्क साधना तथा बाघ या अन्य जानवरों पर शिकार के वक्त उन्हें विचलित करने के लिए आँखो पर रौशनी डालना होता है। |
हरियाली पूजन |
राज्यारोहण के बाद मेवाड़ के राजाओं में प्रचलित एक प्रथा जिसमें राणा हरे वस्र (हरित की सवारी) पहनकर शिकार के लिए जाते थे। |
हीरण |
हरिण |
झूर |
भाले जिसकी डंडी में कुछ अन्तराल पर फंदने/पंख लगे हों। |
ज्योतदान |
राणा का चित्रकला तथा हस्तलिपियों का व्यक्तिगत संग्रह या कपड़े से लकड़ी के सहारे चित्रकला तथा हस्तलिपियों को परम्परागत ढ़ंग से बान्धना। |
कजली तीज |
तीज जिसमें सिर्फ एक विशेष प्रकार के पहनावे का उपयोग होता है। |
कर्णिया |
एक पंखे जैसी वस्तु जो देखने में ताश के हुकुम (हृदय) के आकार का एक लम्बा-सा सहारा लिये होता है तथा राजसी/कुलीन लोगों की सूर्य की रौशनी से रक्षा करती है। |
खवास |
वह जो पान परोसना है। |
खान्या |
खान |
खेदड़ी पूजन |
दशहरा के दिन एक खास तरह के पेड़ का पूजन। |
कोठार |
भंडार कक्ष |
मंगरा |
छोटी पहाड़ी या पर्वत |
मेणा |
एक तरह की पालकी जिसमें दो व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था हो। |
मेघडिबर |
धार्मिक अवसरों पर इस्तेमाल होने वाली बड़ी छतरी |
मरिछल |
मोर के पंखो से बना चँवर की तरह बना लम्बा झाझुदार वस्तु |
मुहूरत का शिकार |
राणा के द्वारा शिकार का मौसम आने पर पहली बार शिकार करने निकलने की प्रथा। इसी समय के बाद उस मौसम का शिकार शुरु हो जाता था। |
मूल |
गोलाकार निशानेबाजी का अभ्यास करने वाला बक्शां। |
नार, नाहर |
बाघ |
नायण |
औरतों के घरेलु कार्यों में मदद करने वाली महिला। |
ओदी |
जंगलों में घर के जैसा बना निशानेबाजी का अभ्यास करने वाला बक्शा |
ओरी |
वह स्थान जहाँ चित्रकला तथा अन्य दर्शनीय वस्तुओं को जमा किया जाता है। |
पागजी |
पेशेवर व्याक्ति जो राणा और अन्य ऊँचे तबके के व्याक्ति का पगड़ी बाँधते थे। |
पालखी |
एक तरह की पालकी |
पासवान |
वह व्यक्ति जो हमेशा राणा के पास रहता था, एक प्रकार से व्यक्तिगत सहायक |
पसावन |
वैसी औरत जिसका शादी के बिना ही किसी पुरुष के साथ सम्बन्ध हो |
पटेलण |
औरतों का घरेलु कार्य करने वाली महिला। |
पोल |
दरवाजा |
रावला |
महिलाओं का कक्ष, जनानी महल |
सावण तीज |
सावन में मनाया जाने वाला तीज |
सूरजमुखी |
एक डंडे का सहारा लिए गोल सी वस्तु जिसके मध्य में उगते हुए सुरज का चित्र बना होता है। यह ज्यादातर काले पंखो का बना होता है तथा सुर्य की रौशनी से रक्षा करता है। |
सूर, सूवर |
सूअर |
तबारी |
एक तरह की पालकी |
नबेला |
घोड़ो को ठहरने का जगह |
तामजाम |
एक तरह की पालकी |
तोरण |
विवाह आदि शुभ अवसरों पर मुख्य दरवाजे के ऊपर लगाये जाने वाली खास वस्तु। |
बड़ारण |
दूसरों के घर में घरेलु कार्य करने वाली महिला |
चितारा |
चित्र बनाने वाले कलाकार
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