राजस्थान |
पुष्कर के देवालय राहुल तोन्गारिया |
वराह
मंदिर ब्रह्म का मंदिर राम वैकुण्ठ मंदिर महादेव का मंदिर रंगजी का मंदिर
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पुष्कर अजमेर से उत्तर - पश्चिम में ७ मील दूर है और इन्हें नाग - पहाड़ एक दूसरे से विलग करते हैं। हिन्दुओं के इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थान में १०० से अधिक मंदिर हैं। इस स्थान के हर मंदिर में धर्म की आस्था परिलक्षित होती है और प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग यहाँ दर्शनार्थ उपस्थित होते हैं। पुष्कर को तीर्थराज कहा जाता है, जो कि हिन्दुओं के धार्मिक स्थानों का सिरमौर है। पद्मपुराण में वर्णित एक आख्यान के अनुसार सृष्टि के रचयिता बर्ह्मा यज्ञ करने के लिए एक उपयुक्त स्थान की खोज में थे। जब वे भ्रमण कर रहे थे तो उनके हाथ से कमल का एक फूल गिरा और इस प्रक्रिया में वह धरा से तीन स्थानों पर टकराया और जहाँ से जल के स्त्रूति फूट पड़ी। यज्ञ के लिए यह भूमि - स्थान श्रेष्ठ है, इस बात का संकेत उपयुक्त घटना से मिलता है। ये तीनों स्थान ६ मील के घेरे में हैं और क्रमश: ज्येष्ठ, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध है। पुष्कर के मंदिरों में प्रमुख हैं वराह, ब्रह्मा, राम, महादेव और रंगनाथ जी के मंदिर। वराह मंदिर
ब्रह्म का मंदिर
राम वैकुण्ठ मंदिर राम वैकुण्ठनाथ के भीतरी मंदिर के ऊपर विमान अथवा गोपुरम को निर्माण जयरवम संहिता में वर्णित स्थापत्य कला के नियमानुसार हुआ था। विमान पत्थर का बना हुआ है और इसमें ३६१ देवी - देवताओं की मूर्तियाँ अंकित हैं। भीतरी मंदिर के सामने स्वर्ण - गरुड़ विराजमान है। मंदिर के मुख्य द्वार से ऊपर निर्मित बाहरी गोपुरम ईंटों और मसाले से बना हुआ है जिसमें व्यापक रुप से नक्काशी की गई है। इसका निर्माण एवं अलंकरण दक्षिण भारतीय कारिगरों के हाथों हुआ है। गरुड़ की चार प्रतिमाएँ चारों कोनों में रखी गई है जिसमें मंदिर की वैष्णव शैली प्रदर्शित होती है। महादेव का मंदिर
रंगजी का मंदिर
यहाँ कुछ और भी मंदिर हैं जैसे बद्रीनाथ का मंदिर जिसका १८०० ई० में खेरवाड़ के ठाकुर द्वारा नवीकरण करवाया गया था। सावित्री का मंदिर जिसका निर्माण मारवाड़ के महाराजा अजीतसिंह के पुरोहित द्वारा करवाया गया। बिहारीजी का मंदिर, जिसका निर्माण जयपुर की महारानी द्वारा १८७५ ई० में करवाया गया।
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