राजस्थान |
महाराजा सवाई माधोसिंह जी द्वितीय राहुल तोन्गारिया |
माधोसिंह जी का जन्म ईसरदा के ठा. रघुनाथसिंह के यहाँ भादवा वदी ९ वि. सं. १८१८, अगस्त २९ १८६१ ई० में हुआ था। यह ठा. रघुनाथसिंह जी के द्वितीय पुत्र थे। माधोसिंह जी की अपने भाई से नहीं बनती थी। इस कारण वे कुछ समय वृन्दावन में रहे। फिर नवाब टौंक के यहाँ पर नौकर हो गये।म. स.रामसिंह की मृत्यु पर आसोज वदी ११ वि. १९३७, सितम्बर ३० १८८० ई० को माधोसिंह जी जयपुर की गद्दी पर बैठे। ऐसा अक्सर माना जाता है कि म. रामसिंह जी की अन्तिम इच्छा थी कि माधोसिंह जी ही गद्दी पर बैठे। वास्तविकता यह थी कि म. रामसिंह की मृत्यु के बाद कुछ उच्च अधिकारियों का यह षड्यन्त्र था। इनको शासन के पूर्ण अधिकार १८८२ ई० में मिले। १८९९ ई० में जयपुर राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। इन्होंने अपनी प्रजा के लिए ५० लाख रुपये खर्च किये। म. स. माधोसिंह जी बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के नरेश थे। इन्होंने वृन्दावन में अपने गुरु के आदेश पर माधवबिहारी जी का बड़ा भव्य मंदिर बनवाया। बरसाना में इनकी महाराणी साहिबा ने मंदिर बनवाया तथा गंगोत्री में मंदिर बनवाया। इनके कोई पुत्र नहीं था, इसलिए १९२१ ई० में इन्होंने ईसरदा के ठा. सवाईसिंह के पुत्र मोर मुकुटसिंह को गोद लेना चाहा। इस पर झिलाय ठाकुर गोवर्धनसिंह ने अपना हक बताकर इसका विरोध किया। अन्त में मोर मुकुटसिंह ही गोद लिए गए तथा उनका नाम मानसिंह जी द्वितीय रखा गया।म. स. माधोसिंह जी की लकवे के कारण आसोज वदी २ वि. स. १९७९, सितम्बर ७ १९२२ ई० को मृत्यु हुई। इनके पांच रानियाँ थीं परन्तु उनसे कोई पुत्र नहीं था।
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