राजस्थान

बाडमेर में मेले तथा त्योहार

प्रेम कुमार


तिलवाड़ा पशु मेला
नकोरा पार्श्वनाथ
विरात्रा का मेला
खेड़मेला
कल्याण सिंह का मेला

 

तिलवाड़ा पशु मेला

लूनी नदी के तट पर स्थित लिवाङा गाँव मे यह मेला लगात है। यह जिले का प्रमुख पशु मेला है। यह मेला व्यावससायिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह गाँव तिलवाङा रेलवे स्टेशन से ३ किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह मेला जिला कृषि तथा पशुधन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है तथा यह प्रत्येक वर्ष बङ्ी चैत्र ११ से चैत्र सुदी ११ तक (मार्च-अप्रैल) में लगता है। हजारों की संख्या में लाग यहाँ इकट्ठे होते हैं तथा सन्यासी रावल के दर्शन हेतु आते है। हजारों जानवारो यहां खरीद-बिक्री के लिए लाए जाते हैं।

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नकोरा पार्श्वनाथ

पंचपदरा तहसील के मेवानगर गाँव में एक मेला लगता है। यह स्थान बालोतरा शहर से १० किलो मीटर की दूरी पर है। यहाँ पर नकोरा पार्श्वनाथ का जैन मंदिर है, जिसके चारों ओर का वातावरण काफी सुंदर है। यहाँ प्रत्येक वर्ष बङ्ी पूस १० (दिसम्बर-जनवरी) को पार्श्वनाथ का जन्म उत्सव मनाने के लिए मेला लगता है। यहाँ पर तीन जैन मंदिर है, जो पार्श्वनाथ, शांतिनाथ तथा आदिनाथ को समर्पित हैं।, हर साल लगभग दस हजार की संख्या में लोग यहाँ इकट्ठे होते हैं, जिसमें ज्यादातर लोग जैन धर्म को मानने वाले होते हैं।

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विरात्रा का मेला

चोहटन गाँव से लगभग १२ किलोमीटर की दूरी पर विरात्रा में मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ साल में तीन बार चैत्र, भाद्रपद तथा माघ में वकालदेवी की पूजा का मेला लगता है।

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खेड़मेला

पचपद्रा तहसील के अन्तर्गत खे गाँव में हरेक पूर्णिमा पर मंदिर के निकट एक धार्मिक मेला लगता है। राधा अष्टमी भाद्रपद सुदी ८ और ९ (अगस्त-सितम्बर) को एक बङा मेला लगता है। यह गाँव बालोतरा से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खे प्राचीन काल में सभ्यता का मुख्य केन्द्र था।

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कल्याण सिंह का मेला

यह मेला सिवाना दुर्ग में अलाउद्दीन की सेना के विजय अवसर पर लगता है। यह श्रावण सुदी २ (जुलाई-अगस्त) में प्रत्येक वर्ष लगता है। लगभग ५००० लोग इस अवसर पर जमा होते हैं।

जिले के अन्य मुख्य त्योहारों में होली, शीतला अष्टमी, गणगौर, रक्षा-बंधन, अक्षय-त्रितिया, दशहरा, दीपावली, ईद-उल-जुहा आदि है। महावरी जयंती तथा पयूशन जैन लोगों का महत्वपूर्ण पर्व है।

 

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